कैंट सीट क्या जागीर है जो संभालेंगी सविता?

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  • छात्रवृत्ति घोटाले के कलंक से कैसे बचेंगी?
  • कुंवर जपेंदर, सूर्यकांत, अनिरुद्ध या रवींद्र कितनी देंगे टक्कर?

भाजपा में वंशवाद और परिवारवाद का फटा ढोल बज रहा है। यदि भाजपाई नेहरू को आज की समस्याओं के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं तो गढ़ी इलाके की समस्याओं के लिए क्या हरबंस कपूर को दोषी नहीं ठहराना चाहिए? आठ बार के विधायक होने के बावजूद कैंट में आज भी बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। कपूर परिवार ने बेहिसाब प्रापर्टी बनाई, इसके बावजूद गरीब छात्रों का पैसा भी खा लिया। अब हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर चुनाव लड़ने को तैयार हैं क्योंकि बेटा तो स्कैम में फंसा है। अब बताओ, क्या भाजपा के कुंवर जपेंदर, विनय गोयल, जोगेंद्र पुंडीर या आदित्य चैहान केवल दरी बिछाने या भाजपा का झंडा उठाने का ही काम करेंगे? क्या कैंट सीट जागीर है कि इस पर कपूर खानदान का ही दावा रहेगा?
मेरा सवाल यह है कि हरबंस कपूर ने 40 साल में अपना निजी कालेज बनाया, माल बनाया, फ्लैट्स बनाए, दुकानें खरीदी-बेची, सरकारी जमीनों पर कब्जा करवाया, लेकिन कैंट क्षेत्र के लिए क्या किया? इसके बावजूद यदि भाजपा कपूर परिवार को ही टिकट देना चाहती है तो दें। लेकिन यहां वर्षों से पार्टी के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं और अन्य नेताओं के लिए कौन सोचेगा? क्या ये सब वजीर और प्रजा हैं?
मैं इस क्षेत्र का मतदाता हूं। यहां समस्याओं की भरमार है और एक अच्छा कर्मठ विधायक चाहिए। पिछले 20 साल में गढ़ी कैंट इलाके में एक भी सरकारी विश्वविद्यालय या सरकारी कालेज नहीं है। एक भी अच्छा सरकारी अस्पताल नहीं है। एक भी अच्छा पार्क नहीं है। गढ़ी कैंट इलाके में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए सीधे कोई सिंगल सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था नहीं है। अतिक्रमण की भरमार है। नदी-नाले खाले पर कब्जा है तो दूसरी तरफ कई कालोनियों में लोगों की रजिस्ट्री नहीं हुई क्योंकि वोट बैंक रखना है तो मुद्दे रहने चाहिए। मोदी के स्टार्ट-अप इंडिया के तहत इस इलाके में एक भी उद्योग नहीं खुला। इसके बावजूद इस सीट पर कपूर ही काबिज रहे। यहां की सड़कें बदहाल हैं। जबकि इस इलाके में कैंट बोर्ड, वसंत विहार सैनिक सोसाइटी भी है जो यहां की मूलभूत समस्याओं का समाधान कर देती हैं।
आज गढ़ी कैंट इलाके को विकास की सख्त जरूरत है। कांग्रेस के सूर्यकांत धस्माना यहां लगातार सक्रिय हैं। राज्य आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाने की उन्होंने पिछले 20 साल में बड़ी कीमत चुकाई है। अदालत से बरी हो गये लेकिन जनता की अदालत में अभी उन्हें न्याय की दरकार है। भाजपा नेता कुंवर जपेंदर का ईमानदारी और जनता पर दिल खोलकर खर्च करने का कोई सानी नहीं है। भ्रष्टाचार और अन्याय के मुद्दे पर वह अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करते। कुंवर जपेंदर ने घोषणा की कि वह जनप्रतिनिधि के तौर पर कोई सरकारी सुविधा, वेतन भत्ता भी नहीं लेंगे। विनय गोयल, जोगेंद्र पुंडीर और आदित्य चैहान भाजपा के समर्पित सिपाही हैं और वर्षों से आगे बढ़ने का सपना देख रहे हैं। यूकेडी के युवा नेता अनिरुद्ध काला पेशे से इंजीनियर हैं और एक स्वच्छ और सकारात्मक राजनीति का दृष्टिकोण लेकर सार्वजनिक जीवन में उतरे हैं। आम आदमी पार्टी के रवींद्र आनंद भी यहां से होड़ में हैं।
ऐसे में जनता के पास नेताओं की अच्छी जमात है कि वह इनमें से अपना नेता किसी को चुन सकती है। सविता कपूर को जनता पर थोपना सही नहीं होगा। वह समाज सेविका के तौर पर ही जनता की सेवा करती रहें यही उचित होगा। भाजपा को परिवारवाद से बचना चाहिए।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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