- 1 अभ्यर्थी के सापेक्ष 9 पद, 2917 पदों पर होगी भर्ती
- प्रदेश के महज 327 डीएलएड प्रशिक्षु, बाहरी राज्यों से होगी भर्ती, मूल-अस्थायी निवास का खेल?
उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में 10 जुलाई से तबादला उद्योग चलेगा। शिक्षक सेल्फ फाइनेंस या बैंक से लोन लेकर अपना तबादला करवा सकते हैं। धारा 27 एक बड़ा हथियार है। बेचारे जो नीडी हैं, वह भी गेंहू में घुन की तरह पिस जाते हैं। विकलांगता का नियम ही देख लो। पिछले साल 40 प्रतिशत विकलांग का भी तबादला कर दिया। अब सुधारा है कि 40 प्रतिशत वाला भी विकलांग होता है। 40 प्रतिशत विकलांग को अब नए सिरे से तबादले के लिए आवेदन करना होगा, लेकिन क्या अब उस बेचारे के लिए सुगम में विषय की सीट खाली होगी? यह बड़ा सवाल है।
इस बीच शिक्षा विभाग ने 2917 पदों पर प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती जारी की है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में डायट से पासआउट शिक्षक महज 327 हैं। 155 अब जुलाई में पासआउट होंगे। 650 दिसंबर 24 और 650 दिसंबर 2025 में पासआउट होंगे। ये प्रदेश के विभिन्न जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में हैं। प्रदेश में निजी कालेजों को डीएलएड नहीं कराया जाता है। ऐसे में जो 2917 पद प्राथमिक शिक्षक के निकले हैं। उनमें तो प्रदेश के डायट से निकले 327 ही अभ्यर्थी हैं।
जरा सोचिए, बाकी पद कहां से भरे जाएंगे? दूसरे प्रदेशों से पासआउट की भर्ती होगी। जो यूपी या अन्य प्रदेशों के मूल निवासी हैं तो वो उत्तराखंड के स्थायी निवासी कैसे हो गए? क्या ये सही नीति है?
(वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार)