वादा तेरा वादा, वादे में मारा गया बंदा ए सीधा-साधा!

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  • सरकार बता तो दो, कितना झूठ बोलोगे? वैक्सीन कब लगेगी?
  • अब तक 8 लाख को ही लगी है दोनों डोज, 50 लाख तक कब पहुंचेगा आंकड़ा?

मैं विगत 45 दिनों से अपनी पत्नी और बेटी के लिए वैक्सीन की पहली डोज के लिए लगातार कोविन पर लाॅग इन करता हूं। वहां 18 प्लस के लिए पता नहीं कब शेड्यलिंग होती है। ओटीपी और मोबाइल नंबर भरकर मेरी उंगलियां दर्द करने लगी लेकिन वैक्सीन के लिए शेड्यूलिंग नहीं हो पाती। जीरो स्लाॅट रहता है। सब पेड स्लाट हैं। यानी वैक्सीन लगानी हो तो आपको कम से कम 780 रुपये से लेकर 2900 का पैकेज लेना होगा। चलिए, मैं अपने परिजनों को पेड वैक्सीन लगवा सकता हूं, लेकिन क्या हर पत्रकार या आम आदमी ऐसा कर सकता है? कोरोना काल में अधिकांश लोगों को वेतन ही नहीं मिला। कई की नौकरी चली गयी। कई कोरोना से जंग लड़कर जीते हैं और उनकी माली हालत खस्ता है। तो क्या तीरथ सरकार ने झूठ बोला कि 50 लाख लोगों को वैक्सीन फ्री में लगेगी।
दरअसल, उत्तराखंड में कछुआ गति से वैक्सीनेशन का काम हो रहा है। 21 जून को डा. हर्षवर्धन जब गला फाड़कर चिल्ला रहे थे कि देश में एक ही दिन में 88 लाख लोगों का वैक्सीनेशन हुआ तब उत्तराखंड में 1 लाख 14 हजार 168 लोगों का वैक्सीनेशन हुआ। जबकि 20 जून को 15288 लोगों का वैक्सीनेशन हुआ। इसके बाद 22 जून को 1,23,225, 23 जून को 1 लाख 4 हजार 350, 25 जून को एक लाख 1 हजार और 26 जून को 70 हजार 6 लोगों को वैक्सीन लगाई गयी। यानी 21 को वैक्सीनेशन ने तेजी पकड़ी और अब यह तेजी घटने लगी।
प्रदेश में 26 जून तक 45 प्लस के 7 लाख 67 हजार, 749 लोगों को दोनों डोज लग चुकी हैं जबकि 18 से 44 तक आयु के 35159 को ही दोनों डोज लगी हैं। यानी आठ लाख लोगों को ही डोज लगी हैं। जबकि वैक्सीनेशन के 6 माह गुजर चुके हैं। तीसरी लहर आने की चेतावनी है। प्रदेश में एक करोड़ डोज और चाहिए। इस आधार पर राज्य में अगले 100 दिनों तक रोज एक लाख वैक्सीन लगानी होंगी। जबकि आंकड़ों को देखकर ऐसा संभव नहीं लग रहा है। देश में हर रोज एक करोड़ डोज चाहिए, इसमें उत्तराखंड का कितना हिस्सा होगा नहीं पता। लेकिन यह सच है कि वैक्सीनेशन की रफ्तार घटी तो हम और संकट में आएंगे।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

…तो थम जाएगा पगडंड़ियों पर पीढ़ियों के मिलन और परम्परा का सफर?

 

 

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