गोरखपुर, 15 जनवरी। स्वच्छता भारतीय रेल की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसे ध्यान में रखते हुए पूर्वोत्तर रेलवे पर नियमित रूप से साफ-सफाई पर विशेष निगरानी रखी जा रही है और स्वच्छता बनाए रखने के लिए व्यापक कदम उठाएं गए हैं। समय-समय पर विशेष स्वच्छता अभियान भी चलाया जाता है।
स्वच्छता के उच्चस्तर को बनाए रखने के क्रम में पूर्वोत्तर रेलवे पर 40 कोचों में इको फ्रेंडली बायो-वैक्यूम ग्रीन टायलेट लगाए गए हैं और 200 कोचों में इसके लगाए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इज्जतनगर कारखाने में हाईब्रीड के 18 स्पयेर यानों में बायो टायलेट फिटमेंट का कार्य किया जा रहा है। यात्री कोचों के शौचालयों की बेहतर सफाई सुनिश्चित करने के लिए प्रेशराइज्ड फ्लशिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं।
मैकेनाइज्ड कोच क्लीनिंग के तहत गाडि़यों की सफाई-धुलाई का कार्य पिट पर संपादित कराया जाता है। पूर्वोत्तर रेलवे की 12 कोचिंग डिपो में गुणवत्तापूर्ण सफाई के लिए मैकेनाइज्ड कोच क्लीनिंग का कार्य किया जा रहा है। कोचिंग डिपो, बनारस में ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट वर्ष 2021-22 में चालू हुआ है, जिससे यात्री कोचों के बाहर साफ-सफाई की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। ऑन बोर्ड हाउस कीपिंग सर्विस के तहत 59 मेल/एक्सप्रेस गाडि़यों में साफ-सफाई का कार्य किया जा रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे की तीन स्टेशनों को क्लींन ट्रेन स्टेशन नामित किया गया है, जहां पर वहां से गुजरने वाली कुल 71 गाडि़योेें में ठहराव के दौरान साफ-सफाई का कार्य किया जा रहा है।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार स्टेशन परिसरों में साफ-सफाई की नियमित निगरानी की जाती है। स्टेशनों पर साफ-सफाई बनाए रखने के लिए स्टेशनों पर कैश-इम्प्रेस्ट में का प्रावधान किया गया है। इस स्टेशनों पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए स्टेशनों पर प्रसाधन की सुविधा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त 40 स्टेशनों पर पे एंड यूज प्रसाधन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इस रेलवे के गोरखपुर, वाराणसी, बनारस, काशीपुर, काठगोदाम, रूद्रपुर सिटी एवं हल्द्वानी स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल क्रसिंग मशीनें लगाई गई हैं। पूर्वोत्तर रेलवे के लोको शेड, गोण्डा एवं इज्जतनगर शेड द्वारा वर्ष 2021-22 में माह दिसंबर 2021 तक 941 मीट्रिक टन लौह एवं अलौह धातु स्क्रैप का निस्तारण किया गया। निष्प्रयोज्य आवासों को भी निस्तारित किया जा रहा है। इन प्रावधानों से गाडि़यों एवं स्टेशन परिसरों की स्वच्छता में गुणात्मक सुधार हुआ है।