मुंबई, 12 जनवरी। ‘जनवादी लेखक संघ’ की महाराष्ट्र यूनिट और ‘शोधावरी’ संयुक्त रूप से 13 जनवरी को ‘प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन और मुंबई’ (सन्दर्भ : पुस्तक ‘रूदाद-ए-अंजुमन’) विषय पर एक वैचारिक गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में कवि—आलोचक विजय कुमार, प्रोफ़ेसर हूबनाथ पांडेय (मुंबई यूनीवर्सिटी), संस्कृतिकर्मी कामरेड सुबोध मोरे, डॉ.अब्दुल्लाह इम्तियाज़ (हेड ऑफ़ द डिपार्टमेंट उर्दू, मुंबई यूनीवर्सिटी), ऊर्दू लेखक वक़ार क़ादरी, रमन मिश्र (परिदृश्य प्रकाशन), वरिष्ठ पत्रकार विमल मिश्र, लेखक—आलोचक ज़ाहिद ख़ान और मुख्तार खान इस विषय पर अपनी बात रखेंगे। यह वैचारिक गोष्ठी ‘जे.पी.नाइक भवन सभागृह विद्यानगरी परिसर’, मुंबई विश्वविद्यालय में सुबह 11 बजे से आयोजित होगी।
मुंबई, ‘प्रगतिशील सांस्कृतिक आंदोलन’ का हमेशा मरकज़ रहा है। मुंबई ही से जहां ‘भारतीय जन नाट्य संघ’ यानी इप्टा का 25 मई 1943 को आग़ाज़ हुआ, तो प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रव्यापी विस्तार में भी मुंबई से जुड़े अदीबों, शायरों और कलाकारों का अहम योगदान है। साल 1946—47 में ‘अंजुमन तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन’ ( प्रगति शील लेखक संघ) की मुंबई शाखा बेहद सक्रिय थी। उसके जलसे बड़ी पाबंदी से अंजुमन के किसी न किसी सदस्य के घर पर हफ़्तावार आयोजित हुआ करते थे। हमीद अख़्तर, अंजुमन के सेक्रेटरी की हैसियत से उन जलसों की बाक़येदा रिपोर्ट लिखकर, मुंबई के हफ़्तावार अख़बार ‘निज़ाम’ में पाबंदी से प्रकाशित किया कराते थे। यह तरक़्क़ीपसंद तहरीक प्रोग्रेसिव मूमेंट के उरूज का ज़माना था। और इस तहरीक से मुताल्लिक़ तक़रीबन सभी बड़े नाम सज्जाद ज़हीर, अली सरदार जाफ़री, मजरूह सुल्तानपुरी, कृश्न चंदर, जोश मलीहाबादी, सआदत हसन मंटो, ख़्वाजा अहमद अब्बास, अख़्तर-उल-ईमान, विश्वामित्र ‘आदिल’, इस्मत चुग़ताई, सुल्ताना बेगम, मजाज़, कैफ़ी आज़मी, मीराजी, साहिर लुधियानवी, प्रेम धवन, मधुसूदन और ज़ोए अंसारी इसके अलावा बाद के दिनों में अज़ीज़ क़ैसी, इनायत अख्तर और भी कई बड़े नाम उस वक़्त मुंबई में मौजूद थे। वे इन हफ़्तावार अदबी जलसों में शरीक होते थे।
1946-47 का ज़माना तरक़्क़ीपसंद तहरीक के लिए इस लिहाज़ से भी अहम था कि उस ज़माने में देश में आज़ादी की लहर चारों ओर थी। तरक़्क़ीपसंद तहरीक से जुड़े सभी अदीब, आज़ादी की इस जद्दोजहद का एक इंतिहाई सरगर्म हिस्सा थे। लिहाज़ा इन जलसों की रूदाद और उसके रिकार्ड की यक़ीनन तारीख़ी हैसियत है।
1946-47 के डेढ़ बरसों में ‘अंजुमन तरक़्क़ीपसंद मुसन्निफ़ीन’ ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ की मुंबई शाखा ने जो हफ़्तावार जलसे किए, उनकी रूदाद (रिपोर्ताज़) किताब ‘रूदाद-ए-अंजुमन’ में मौजूद है। इसी महत्वपूर्ण किताब को केन्द्र में रखकर, इस विचारगोष्ठी का आयोजन ‘जनवादी लेखक संघ’ और ‘शोधावरी’ (मुंबई यूनीवर्सिटी की शोध पत्रिका) संयुक्त रूप से कर रहे हैं।