तपोवन (कांगड़ा), 10 दिसंबर। हिमाचल में सवर्ण आयोग के गठन और आर्थिक आरक्षण आदि मुद्दों को लेकर आज सवर्ण सभा ने विधानसभा का जबरदस्त घेराव किया। हजारों की संख्या में गंगाजल लिए प्रदर्शनकारियों की जिद के आगे पुलिस और प्रशासन की एक ना चली। अंत में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को खुद सदन से बाहर आकर सवर्ण आयोग के गठन का आश्वासन देना पड़ा, तब जाकर स्थिति शांत हुई।
शुक्रवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन जहां सदन गर्माने की उम्मीद थी, तो वहीं सवर्ण आयोग की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों ने माहौल गर्मा दिया। विधानसभा परिसर तक पहुंच गए प्रदर्शनकारी जब सदन में घुसने की कोशिश करने लगे तो पुलिस को वाटर कैनन का सहारा लेना पड़ा। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पथराव तक कर दिया, मगर आगामी चुनावों को लेकर सरकार की ओर से पुलिस और प्रशासन को नरमी बरतने के आदेश थे, नहीं तो जिस प्रकार से प्रदर्शनकारी उग्र थे लाठीचार्ज तक की नौबत आ सकती थी।
उधर, अपने साथ विधानसभा के सभी मंत्रियों और विधायकों को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का वाहन लिए हजारों प्रदर्शनकारियों के सैलाब के बीच पुलिस और प्रशासन के सारे प्रबंध धरे के धरे रह गए। दिन भर चले प्रदर्शन के बाद प्रदर्शनकारी बैरिकेड्स तोड़ कर विधानसभा परिसर के बाहर पहुंच गए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने तो विधानसभा परिसर के भीतर घुसने तक की कोशिश की। इसके बाद पुलिस और अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पानी की बौछार कर दी। इस पर भड़के प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाजी तक की। इसमें कुछ लोगों को चोटें लगने की भी सूचना है।
इस बीच, विधानसभा के गेट तक पहुंच चुके प्रदर्शन को देखते हुए जयराम सरकार की तरफ से मंत्री महेंद्र ठाकुर और मंत्री सुरेश भारद्वाज को सवर्ण आयोग से बात करने के लिए भेजा गया, लेकिन लोगों ने गो बैक के नारे लगाए और उनकी कोई भी बात नही सुनी। लोगों की मांग थी कि वह जयराम ठाकुर से बात करेंगे और मुख्यमंत्री खुद आकर उनसे बात करें। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से बात करने की मांग रखी। जिसके बाद सीएम कड़ी सुरक्षा के बीच मौके पर पहुंचे।
इससे पहले, प्रदर्शनकारियों ने डीजीपी और डीसी की गाडि़यों का घेराव किया। डीजीपी संजय कुंडू और डीसी कांगड़ा निपुण जिंदल भीड़ के बीच फंस गए। प्रदर्शनकारयों के पथराव में एएसपी की गाड़ी और एंबुलेंस के शीशे टूट गए। मुख्य सचिव रामसुभग सिंह प्रदर्शनकारियों से बात करने पहुंचे मगर उनकी भी किसी ने एक ना सुनी। फिलहाल मौके पर स्थिति तनावपूर्ण बन गई थी, अगर मुख्यमंत्री समय रहते बाहर ना आते और सवर्ण आयोग का गठन करने का आश्वासन ना देते तो बड़ा टकराव हो सकता था।
आज सुबह ही जब सवर्ण आयोग की मांग को लेकर करीब दस हजार प्रर्शनकारी विधानसभा की ओर बढ़ने लगे तो पुलिस बल ने उन्हें जोरावर स्टेडियम से आगे नहीं जाने दिया। सवर्ण समाज ने मांग रखी कि जब तक प्रदेश सरकार सवर्ण आयोग का गठन नहीं करेगी, तब तक वे यहीं पर धरना प्रदर्शन करेंगे। देवभूमि क्षत्रिय संगठन के प्रदेशाध्यक्ष रुमित सिंह ठाकुर और देवभूमि स्वर्ण मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल ठाकुर ने कहा कि आजतक सभी राजनीतिक दलों ने सवर्ण समाज के साथ छलकपट और भेदभाव की राजनीति ही की है। जातिगत आरक्षण को जल्द खत्म किया जाना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों से मिलने पहुंचे मुख्यमंत्री ने सवर्ण आयोग के गठन की मांग को स्वीकार करते हुए बजट सत्र तक का वक्त मांगा और कहा कि सरकार ने प्रदेश में आयोग के गठन को स्वीकार किया है। बजट सत्र में एक्ट का प्रावधान करके सवर्ण आयोग का गठन किया जाएगा, मगर प्रदर्शनकारी आयोग की घोषणा पर अड़े रहे। बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश की तर्ज पर अब हिमाचल में भी सवर्ण आयोग का गठन होगा।