शिमला, 7 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर की अध्यक्षता में आज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की 33वीं विश्वविद्यालय कोर्ट मीटिंग आयोजित की गई।
राज्यपाल ने कहा कि पिछले दो वर्ष से कोरोना महामारी के कारण सभी कार्य बाधित रहे हैं, लेकिन वर्तमान समय सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रगति का ऐसा माध्यम है, जिससे हम समाज के विकास का मूल्यांकन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा के लिए अनुकूल वातावरण है। प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों का वृहद नेटवर्क है तथा यहां कि शैक्षणिक दर भी बेहतर है। हमें इन सुविधाओं का लाभ सकारात्मक तरीके से उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी देश के विभिन्न भागों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि इन विद्यार्थियों ने राज्य और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राज्यपाल ने कहा कि हि.प्र. विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में देश भर के लिए एक उदाहरण बनकर उभर सकता है। राज्यपाल ने राज्य में नशीले पदार्थों के बढ़ते प्रचलन पर चिंता व्यक्त करते हुए शिक्षकांे से इस दिशा में कार्य करते हुए युवा पीढ़ी को इस खतरे से बचाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि समाज में बदलाव लाने के लिए मानसिकता में सकारात्मक बदलाव लाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि डिग्री पूरी करने के बाद समाज से जुड़ाव के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। विश्वविद्यालय कोर्ट ने वर्ष 2017-2018 के वार्षिक लेखा एवं वर्ष 2019-20 के वार्षिक प्रतिवेदन को स्वीकृति प्रदान की।
इस अवसर पर कार्यवाहक कुलपति प्रो. एस.पी. बंसल ने राज्यपाल का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने राज्यपाल को गत वर्ष की गतिविधियों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की जानकारी भी साझा की।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के प्रबंधन, री-ऑरिएनटेशन और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सहित तीन मानकों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विजन डॉक्यूमेंट के अनुसार सभी प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस शैक्षणिक सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति पूरी तरह से लागू करना भी सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छोटा गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और परिसर में अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल अकादमी स्थापित करने के प्रयास किए जाएंगे। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार सुनील शर्मा ने कार्यवाही का संचालन किया और धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
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