हिप्र के युवाओं को मिल रहे रोजगार और स्वरोजगार अवसर

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शिमला, 5 जून। युवा राष्ट्र की अमूल्य निधि हैं और इस निधि का सही उपयोग करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र और राज्य सरकार की नवोन्मेषी योजनाओं के माध्यम से युवाओं का कौशल संवर्द्धन किया जा रहा है। ग्रामीण युवाओं को संगठित और असंगठित क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से प्रदेश में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (डीडीयू-जीकेवाई) का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा रहा है।
यह योजना केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक महत्वाकांक्षी योजना है। योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रदान कर उन्हें न्यूनतम मजदूरी या नियमित मासिक वेतन पर रोजगार उपलब्ध करवाना है। इस योजना के अंतर्गत् 70 प्रतिशत प्रशिक्षित युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में निश्चित रोजगार उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जाता है। प्रशिक्षुओं को निःशुल्क प्रशिक्षण के साथ निःशुल्क छात्रावास की सुविधा भी प्रदान की जाती है। प्रत्येक कोर्स की अवधि 3 से 12 महीने की होती है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात् एक वर्ष के लिए प्रशिक्षुओं की पोस्ट प्लेसमेंट ट्रैकिंग की जाती है।
इस योजना के तहत परिधान, आतिथ्य, ग्रीन जॉब्स, ब्यूटिशियन, सिलाई मशीन ऑपरेटर, बेकिंग, स्टोरेज ऑपरेटर, स्पा, अनआर्म्ड सिक्योरिटी गार्ड, इलेक्ट्रीशियन, सेल्स एसोसिएट, अकॉउंटिंग, बैंकिंग सेल्स रिप्रेजेन्टेटिव, कंप्यूटर हार्डवेयर असिस्टेंट, टेली एक्सीक्यूटिव-लाइव साइंसेज आदि ट्रेड्स के अंतर्गत् चलाए जा रहे हैं।
वर्तमान में डिजिटल स्किल, सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक, विजुअलाइजेशन, टेलिविजन और मोबाइल रिपेयर जैसे क्षेत्रों में रोजगार, स्वरोगार और रोजगार सृजन के अपार अवसर हैं। दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना में विभिन्न ट्रेड्स के अंतर्गत् युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर उनके कौशल में विकास किया जाता है। प्रदेश सरकार इन ट्रेडर्स के माध्यम से अर्द्धकुशल और कुशल युवाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर कर रही है।
इस योजना के अंतर्गत् 6681 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। वर्तमान में प्रदेश भर में विभिन्न केंद्रों के माध्यम से 1800 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इसी के साथ प्रदेश के 3500 प्रशिक्षुओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए गए हैं।
इस योजना का लाभ लेने के लिए गरीब ग्रामीण युवाओं के लिए आयु सीमा 15-35 तथा कमजोर वर्ग जैसे दिव्यांग, महिलाओं तथा अन्य कमजोर वर्गों के लिए आयु सीमा 45 वर्ष निर्धारित की गई है। इसके अतिरिक्त गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार, मनरेगा, श्रमिक परिवार जिनके किसी सदस्य द्वारा वित्तवर्ष में कम से कम 15 दिन का कार्य किया गया हो, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना कार्डधारक युवा जिसमें युवाओं के विवरण का उल्लेख किया गया हो, जिनके पास अंत्योदय अन्न योजना/बीपीएल/पीडीएस कार्ड जारी किए गए हों, जिन परिवार के सदस्य एनआरएलएम के तहत स्वयं सहायता समूह के सदस्य और सामाजिक एवं आर्थिक जातिगत की गणना 2011 के रूप में ऑटो इन्क्लूजन मापदंडों के तहत कवर किए गए परिवार भी इस योजना के तहत पात्र होंगे।
दीनदयाल कौशल योजना से युवाओं के सपनों को आकार मिल रहा है। सोलन जिले के अर्की के सवावा गांव की हर्षा के लिए यह योजना आशा की किरण बनकर आई। हर्षा की दिलचस्पी फैशन डिजाइनिंग की ओर थी, परंतु घर की आर्थिक परिस्थिति अच्छी न होने के कारण वे फैशन डिजाइनिंग से संबंधित कोर्स नहीं का पा रही थीं। स्थानीय अधिकारियों द्वारा डीडीयू-जीकेवाई की जानकारी उपलब्ध होने के पश्चात् उन्होंने वर्ष 2021 में फैशन डिजाइनिंग ट्रेड का तीन माह का कोर्स पूर्ण किया। प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात उन्होंने डीडीयू-जीकेवाई के प्लेसमेंट सेल में संपर्क किया तथा कुछ समय बाद उन्हें बेंगलूरू की एक निजी फर्म ने मशीन ऑपरेटर पद के लिए चयनित किया है। उनका कहना है कि डीडीयू-जीकेवाई उनके सपनों को साकार करने में सहायक सिद्ध हुई है।
इस योजना का लाभ उठाकर प्रदेश के युवा हुनरमंद बनकर रोज़गार और स्वरोज़गार के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं।

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