हैवान बाप को उम्रकैद, एक नाबालिग बेटी से दुष्‍कर्म तो दूसरी का किया शोषण

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सोलन, 24 सितंबर। अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायधीश डॉ. परविंद्र अरोड़ा की विशेष अदालत ने अपनी एक नाबालिग बेटी से दुष्‍कर्म करने और दूसरी को शारीरिक तौर पर प्रताडि़त करने के दोषी बाप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि आरोपी प्रदीप कुमार को आजीवन कारावास की सजा उसकी मौत तक जारी रहेगी। वहीं उसे आईपीसी की धारा-376 में दोषी पाए जाने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया है, जिसे अदा ना करने पर दो महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा। वहीं आईपीसी की धारा-506 में दोषी पाए जाने पर उसे पांच साल के कठोर कारावास व 5 हजार का जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अदालत ने आरोपी को 2017 में 14 साल की बेटी से दुष्कर्म का दोषी पाया। इस कलयुगी बाप ने अपनी बड़ी बेटी से उस दौरान दुष्‍कर्म किया जब वो जंगल में लकडि़यां लेने गई थी। वहीं दोषी ने अपनी छोटी बेटी का भी शारीरिक उत्पीड़न किया था।
दोषी के खिलाफ महिला पुलिस थाना सोलन में 2019 में आईपीसी की धारा-376 व 506 के अलावा पोक्सो एक्ट में मामला दर्ज हुआ था। दोषी अपनी दो बेटियों व दो बेटों के साथ रह रहा था, जबकि उसकी पत्नी अलग से अपनी बहन के घर पर रह रही थी। लगातार पिटाई से तंग आकर पत्नी घर छोड़ कर चली गई थी।
बाप की हैवानियत से तंग आकर 15 दिसंबर 2019 को दुष्‍कर्म की शिकार नाबालिग पीडि़ता की छोटी बहन बाल कल्याण कमेटी के माध्यम से शेल्टर होम में पहुंची थी। काउंसलिंग के दौरान बच्ची ने महिला सोशल वर्कर के समक्ष अपने बाप की हैवानियत की पोल खोली थी। बच्ची ने इस बात का खुलासा किया था कि 2018-19 में उसके पिता द्वारा उसके साथ भी शारीरिक उत्पीड़न किया गया।
पीडि़ता ने इस बात का भी जिक्र किया था कि पिता द्वारा लगातार मार पिटाई के कारण उसकी मां मानसिक रूप से पीडि़त हो गई थी। अदालत ने आदेश में कहा कि किस तरह रक्षक ही भक्षक बन गया। अदालत ने यहां तक कहा कि दोषी को महज आजीवन कारावास की सजा कम है। इसलिए उसे जीवन भर जेल की सलाखों के पीछे रहना होगा।
जिला न्यायवादी एमके शर्मा ने बताया कि अदालत ने बच्ची को बालिग होने तक 9 लाख के मुआवजे के भी आदेश दिए हैं। अदालत ने ये पाया कि पीडि़ता की बहन भी शारीरिक प्रताड़ना का शिकार तो हुई है, लेकिन उसके साथ दुष्‍कर्म नहीं हुआ है। पीडि़ता को मानसिक व शारीरिक यातना का भी सामना करना पड़ा। अदालत ने उसके पुनर्वास के लिए डेढ़ लाख की राशि जारी करने के आदेश पारित किए हैं।

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