अनुसूचित जाति वर्ग के लाभ के लिए प्रभावी ढंग से लागू हो अधिनियम

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रिकांगपिओ, 9 जून। हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर वीरेंद्र कश्यप ने आज यहां किन्नौर जिले के मुख्यालय रिकांगपिओ स्थित उपायुक्त कार्यालय सभागार में एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जनजातीय जिला किन्नौर में अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए ताकि अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिल सके।
उन्होंने कहा कि जिले के अनुसूचित जाति वर्ग की कुछ संस्थाओं व सदस्यों द्वारा आज की बैठक में यह मामला उठाया गया कि जिले में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को न्याय दिलवाने के लिए ‘ऐट्रोसिटी एक्ट’ प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि पंचायती राज अधिनियम-2004 के तहत प्रदेश भर में लागू आरक्षण रोस्टर को किन्नौर जिले में भी लागू किया जाए ताकि अनुसूचित जाति वर्ग के सदस्यों को जिला परिषद अध्यक्ष, पंचायत समिति अध्यक्ष व ग्राम पंचायतों के प्रधान पदों के लिए आरक्षण उपलब्ध हो सके। आरक्षण उपलब्ध न होने के कारण जिले के अनुसूचित जाति वर्ग के लोग ग्राम पंचायत प्रधान, पंचायत समिति अध्यक्ष व जिला परिषद अध्यक्ष के पदों पर निर्वाचित होने से वंचित रह रहे हैं।
बैठक में सदस्यों द्वारा वर्ष 2011 की जनगणना में जिले की अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या पर भी आपत्ति जताई गई तथा कहा कि इसमें अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या सही नहीं दर्शाई गई है। उन्होंने जिला प्रशासन को आगामी जनगणना में अनुसूचित जाति वर्ग की जाति प्रदर्शित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने जिले के अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों से भी आग्रह किया कि वे अपनी जाति को न छुपाएं तथा दस्तावेजों में इसे दर्ज करवाएं ताकि इस वर्ग की आने वाली पीढि़यां सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न सुविधाओं व लाभों से वंचित न हों।
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जिले में कुल जनसंख्या 84,121 में से 14,750 अनुसूचित जाति वर्ग की जनसंख्या है जो कुल जनसंख्या का 17.53 प्रतिशत बनता है। उन्होंने कहा कि जिले में अनुसूचित जाति वर्ग की साक्षरता दर 67.79 प्रतिशत है। जिले में जिला परिषद व पंचायत समिति में अनुसूचित जाति के 11 सदस्य निर्वाचित हुए हैं जबकि 66 वार्ड सदस्य अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित हैं।
प्रोफेसर वीरेंद्र कश्यप ने जनजाति उपयोजना के तहत खर्च की जा रही राशि पर संतोष व्यक्त किया तथा कहा कि अनुसूचित जनजाति उपयोजना की राशि का जिले में अनुसूचित जाति की आबादी के आधार पर आबंटन किया जाए ताकि अनुसूचित जाति वर्ग के अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि वे इस मामले को प्रदेश सरकार के साथ भी उठाएंगे।
आयोग के अध्यक्ष ने बैंकों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि अनुसूचित जाति वर्ग के शिक्षा ऋण से संबंधित मामलों को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दें ताकि इस वर्ग के विद्यार्थी धन की कमी के कारण उच्च शिक्षा से वंचित न रह सकें।
उन्होंने अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि सरकार द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से इस वर्ग के अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित करें ताकि इस वर्ग के लोगों का सामाजिक व आर्थिक उत्थान सुनिश्चित हो सके।
बैठक में बताया गया कि स्वर्ण जयंती आश्रय योजना के अंतर्गत वर्ष 2015-16 से अब तक 149 मामले स्वीकृत किए गए हैं जबकि विभिन्न बैंकों द्वारा अनुसूचित जाति से संबंधित 2 छात्रों को 6.3 लाख रुपये के ऋण दिए गए हैं।
बैठक में बताया गया कि अनुवर्ती कार्यक्रम के तहत वर्ष 2016 से अब तक 101 मामले स्वीकृत किए गए हैं। अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली राशि को 10 हजार रुपये तक बढ़ाया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें और उन्नत किस्म के औजार व मशीनरी खरीद सकें।
बैठक की कार्यवाही का संचालन उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने किया। उन्होंने बैठक के अध्यक्ष व अन्य सभी गैर-सरकारी तथा सरकारी सदस्यों का स्वागत किया तथा कहा कि आयोग द्वारा आज की बैठक में दिए गए निर्देशों व सुझाव को जिला में लागू किया जाएगा।
बैठक में हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य अजय चौहान, जिला परिषद अध्यक्ष निहाल चारस, पंचायत समिति कल्पा के अध्यक्ष गंगा राम, ईएसओएमए के अतिरिक्त निदेशक नीरज गुप्ता, उपमंडलाधिकारी कल्पा शशांक गुप्ता सहित अनुसूचित जाति वर्ग के विभिन्न प्रकोष्ठों के पदाधिकारी, अनुसूचित वर्ग से संबंधित पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

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