पालमपुर, 7 मई। जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के कंडी इलाके में आतंकियों से हुई मुठभेड़ में शहीद हुए नायक अरविंद कुमार का आज राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार पैतृक बालकोट शमशान घाट में किया गया। शहीद के भाई भूपिंदर कुमार ने उन्हें मुखाग्नि दी। शहीद की अंतिम यात्रा में भारी संख्या में लोग उम़ड़े। दुल्हन बनी पत्नी बिंदु ने जब अपने पति की अर्थी को कंधा दिया तो हर किसी की आंखों से आंसू बहने लगे। शहीद अरविंद अमर रहे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से आसमान गूंज उठा। शहीद अरविंद कुमार अपने पीछे माता निर्मला देवी, पिता उज्ज्वल सिंह, धर्मपत्नी बिंदु देवी, दो बेटियां 4 वर्षीय शानवी और 2 वर्षीय शानविका छोड़ गए हैं।
कांगड़ा जिले के सुलह के सूरी (मरहूँ) इलाके के निवासी शहीद अरविंद कुमार की पार्थिव देह जैसे ही उनके पैतृक गांव पहुंची तो चारों तरफ चीख-पुकार मच गई। पत्नी बिंदु देवी का रो-रो कर बुरा हाल था। बिंदु ने दुल्हन की तरह सजकर पति को अंतिम विदाई दी। वहीं माता निर्मला देवी के आंसू भी सूख चुके थे। परिवार दो दिन से बेटे की पार्थिव देह पहुंचने का इंतजार कर रहा था। पत्नी बिंदु और माता निर्मला ने दो दिन से पानी की एक बूंद भी नहीं पी थी।
वहीं, शहीद के पिता उज्जवल सिंह को पता ही नहीं है कि उनका बेटा शहीद हो गया है। मानसिक तौर पर बीमार होने के चलते वे घर के एक कोने में अनजान से बैठे सब देख तो रहे थे, मगर समझा नहीं पा रहे थे कि क्या हो रहा है। करीब 8 साल पहले लोक निर्माण विभाग से सेवानिवृत्त हुए पिता कुछ सालों पहले अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। उनकी याददाश्त पूरी तरह से चली गई है। अरविंद ने पिता के इलाज की हरसंभव कोशिश की लेकिन किसी भी दवा का असर नहीं हुआ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ महीने पहले ही अरविंद ने अपने पिता की टांग का ऑपरेशन करवाया था। इसके बाद छोटी बेटी का भी दिल्ली में 2 महीने पहले ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन करवाने के बाद अरविंद वापस ड्यूटी लौट गया था। दोबारा बेटी के चेकअप के लिए दिल्ली जाना था।