न्यायमूर्ति एनएन स्वामी की सेवानिवृत्ति पर फुल कोर्ट रेफरेंस

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शिमला, 30 जून। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी के सेवानिवृत्त होने के उपलक्ष्य में विदाई समारोह के अंतर्गत फुल कोर्ट रेफरेंस का आयोजन किया गया। न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी का जन्म 1 जुलाई, 1959 को कर्नाटक के जिला शिवमोगा के भद्रावती में हुआ। इन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा पेपर टाउन भद्रावती से प्राप्त की। इन्होंने बी.बी.एस. महाविद्यालय शिवमोगा से प्री यूनिवर्सिटी शिक्षा तथा मैसूर विश्वविद्यालय से बी.ए. एल.एल.एम. की उपाधि प्राप्त की। वह वर्ष 1987 में कर्नाटक राज्य बार काउंसिल बेंगलूरु में अधिवक्ता के रूप में नामांकित हुए। इन्होंने उच्च न्यायालय में रिट याचिका, सेवा मामलों, भूमि सुधार व राजस्व और जनहित याचिका आदि विषयों में उल्लेखनीय कार्य किया।
उन्होंने 1995 से 1999 तक उच्च न्यायालय में सरकार के अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। वह 4 जुलाई, 2007 को कर्नाटक उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किए गए और 17 अप्रैल, 2009 को स्थायी न्यायाधीश बने। वह 18 जनवरी, 2019 से 10 मई, 2019 तक कर्नाटक उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे तथा 6 अक्टूबर, 2019 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य न्यायाधीश हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी ने कहा कि उच्च न्यायालय के बार और रजिस्ट्री का अपेक्षाओं से अधिक सहयोग प्राप्त हुआ और उनके सहयोग के कारण वह प्रदेश के कानून और न्याय के विकास में योगदान दे पाए। उन्होंने सभी के समर्थन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमथ ने कहा कि न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी ने अपने निर्णयों द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महामारी के दौरान लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए भी इनके मार्गदर्शन में अविस्मरणीय कार्य किए गए। उन्होंने कहा कि इनके कार्यकाल में तीन विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट सृजित किए गए, जिसमें शिमला, रामपुर बुशैहर तथा नाहन शामिल हैं। सिविल जज थुनाग कोर्ट का लोकार्पण भी इन्होंने किया। इसके अतिरिक्त प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में न्यायिक भवनों का निर्माण कार्य भी किया गया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी समाज के गरीब व कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं।
महाधिवक्ता अशोक शर्मा, हिमाचल प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष अजय कौछड़, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय बार संघ के अध्यक्ष नरेश्वर सिंह चंदेल, एसिस्टेंट सोलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया बलराम शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे और मुख्य न्यायाधीय न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी को शुभकामना दीं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी के विचार में न्याय के मंदिर के द्वार कभी बंद नहीं होने चाहिए, जिसका जीवंत उदाहरण महामारी के दौरान न्यायमूर्ति द्वारा पेश किया गया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट सम्भवतः पहला उच्च न्यायालय है, जिसने कोविड महामारी के दौरान वर्चुअल सुनवाई आरम्भ की।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति एल. नारायण स्वामी को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय परिसर में गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी भी दी गई। इस अवसर पर न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान, न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर, न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा, न्यायमूर्ति चन्द्र भूषण बरोवालिया, न्यायमूर्ति अनुप चितकारा, न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य उपस्थित थे। रजिस्ट्रार जनरल विरेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया।
कार्यक्रम में रजिस्ट्रार विजिलेंस डॉ. बलदेव सिंह, उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के सचिव मुकेश बंसल, रजिस्ट्रार (न्यायिक) विकास भारद्वाज, रजिस्ट्रार (नियम) अजय मेहता, जिला एवं सत्र न्यायाधीश (अवकाश/प्रशिक्षण आरक्षित) पवनजीत सिंह, सीपीसी मोहित बंसल, रजिस्ट्रार लेखा देविन्द्र चैपड़ा, रजिस्ट्रार स्थापना पूनम महाजन तथा रजिस्ट्री के अधिकारी भी उपस्थित थे। सम्पूर्ण कार्यक्रम कोविड-19 महामारी मानक संचालनों की अनुपालना करते हुए आयोजित किया गया। अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी फुल कोट रेफरेंस कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से सम्मिलित हुए।

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