शिमला, 31 अगस्त। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुक्खू सरकार ने कर्मचारियों के भविष्य निधि (जीपीएफ़) को भी गिरवी रखकर भी क़र्ज़ ले लिया है। जो पैसा कर्मचारी अपने खर्चे से कटौती करके अपने लिए बचाता है, जिससे वह अपने जीवन के सबसे ज़रूरी काम करता है उसे भी गिरवी रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि 18 महीनें के कार्यकाल में सुक्खू सरकार ने 24 हज़ार करोड़ रुपये से ज़्यादा का क़र्ज़ लिया है। इस साल के अंत तक यह क़र्ज़ एक लाख करोड़ के पास पहुंच जाएगा।
उन्होंने कहा कि सुक्खू सरकार ने सिर्फ़ क़र्ज़ लेने के मामले में ही रिकॉर्ड नहीं तोड़ा है बल्कि विकास की गति को उल्टा करने, संस्थान बंद करने, नौकरियां छीनने के मामले में भी रिकॉर्ड कायम किया है। आज डेढ़ साल के कार्यकाल में सरकार के ख़िलाफ हर वर्ग सड़कों पर है। सचिवालय में बैठे कर्मचारी ही उनके ख़िलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। इससे साफ है कि उनका किसी से संवाद नहीं है। वह किसी की बात सुनते ही नहीं हैं। सिर्फ़ तानाशाही और झूठ के भरोसे सत्ता नहीं चलाई जा सकती है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि पता चला है कि सरकार द्वारा ट्रेजरी को निर्देश दिए गए हैं कि कर्मचारियों को वेतन पाँच तारीख को और पेंशन दस तारीख को जारी की जाए। उन्होंने कहा कि इस तरह से कर्मचारियों का भी बजट गड़बड़ा जाएगा क्योंकि सभी को घर का किराया और तमाम तरह के लोन की किस्तें देनी होती हैं। घर का किराया, बच्चों की फीस, राशन, दूध का खर्च देना पड़ता है, बिजली, पानी, गैस का बिल भरना पड़ता है और यह सब भुगतान वे प्रायः पांच तारीख़ से पहले ही करते आ रहे हैं। यदि उन्हें वेतन और पेंशन देर से मिली तो उनके लिए अलग समस्या खड़ी हो जाएगी इसलिए सरकार से निवेदन है कि वेतन और पेंशन समय पर ही जारी की जाए।
जयराम ठाकुर ने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है वह अपने मंत्रियों और सीपीएस का वेतन दो महीने के लिए विलंबित करती है दूसरी तरफ़ उनकी असंवैधानिक नियुक्ति को बचाने के लिए छह करोड़ से ज़्यादा रुपये दिल्ली के वकीलों पर खर्च करती है। यह दोहरा रवैया नहीं चल पाएगा। उन्हें कोठी, गाड़ी, सहयोगी सब तो मिले हुए हैं। ऐसे में वेतन देर से लेने की बात का क्या तुक हैं। अपना वेतन देर से लेने की बात तो बहाना है, सरकार इसी बहाने कर्मचारियों से कह रही है कि डीए, एरियर मत मांगो। आप भी अपना वेतन दो तीन महीने बाद लो। सरकार फिर कुछ महीने बाद यह कहेगी कि हम वेतन देने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए बिना वेतन के ही काम करो। उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री को नाखून कटवाकर शहीद नहीं होने देंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने सोशल मीडिया पर वायरल हाल ही जारी हुई अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि भवन निर्माण और कर्मचारी कल्याण बोर्ड के चेयरमैन के मानदेय में चार गुना से ज़्यादा बढ़ोतरी कर दी है जो मानदेय पहले की सरकार में मात्र 30 हजार था उसे अपने मित्रों के लिए मुख्यमंत्री ने बढ़ाकर एक लाख तीस हजार कर दिया। इसी तरह सीपीएस, एडवाइज़र, ओएसडी और चेयरमेन को रेवड़ियों की तरह कैबिनेट रैंक बांटे। उन्हें नियम कायदों से परे रखकर सुविधाएं दी जिसके कारण आज प्रदेश की वित्तीय स्थिति का यह हाल हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके सुक्खू सरकार प्रदेश को आर्थिक दिवालियापन की तरफ़ ले जा रही है।