शिमला, 22 मार्च। कांग्रेस विधायक संजय रत्न और हरीश जनार्था ने तीन निर्दलीय विधायको के इस्तीफे पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि इन निर्दलीय विधायको को अपने चुनाव क्षेत्र की जनता को बताना होगा कि इस्तीफे के पीछे आख़िर उनकी क्या मजबूरी है। क्यों जनता पर उप-चुनाव का बोझ थोपा जा रहा है। दोनों ने कहा कि जब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों को हराकर मतदाताओं ने उन्हें पूरे पांच वर्ष के लिए निर्दलीय विधायक बनाया था, तो ऐसे में उन्होंने सवा साल के भीतर ही किस दबाव में विधानसभा की सदस्यता छोड़ी है। क्यों वह अपने चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं की भावनाओं का अपमान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन सवालों के जवाब तीनों निर्दलीय विधायकों को देने होंगे। निश्चित रूप से तीनों ने प्रदेश की जनता की भावना से खिलवाड़ किया है और उन्हें प्रदेश की जनता को जवाब देना होगा। संजय रत्न और हरीश जनार्था ने कहा कि तीनों ने वर्तमान राज्य सरकार से अपने चुनाव क्षेत्र के लिए अनेक कार्य करवाए और आज वह काम न होने की बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में भाजपा का असली चेहरा भी प्रदेश की जनता के सामने आ रहा है। भाजपा किस प्रकार से धन-बल के माध्यम से वर्ष 2022 के जनादेश का अपमान करने में लगी है, यह प्रदेश की जनता के सामने है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा ने लोकतंत्र और लोकतंत्र की भावना का मज़ाक़ बना दिया है। सत्ता के लालच में भाजपा ने देवभूमि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि यह तमाशा हिमाचल प्रदेश की जनता देख रही है तथा इन कृत्यों के लिए निर्दलीयों और भाजपा दोनों को ही सबक़ सिखाएगी।