शिमला, 16 जुलाई। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश की आपदा में पूरा सहयोग कर रही हैं। चाहे आर्थिक सहायता की बात हो या अन्य जरूरी संसाधनों की, जिस भी संसाधन की जरूरत पड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने तुरंत उपलब्ध करवाई। राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की टीमें भेजी, वायुसेना और सेना को लगाया, हेलीकॉप्टर से लेकर बीआरओ पूरे जी जान से जुटे रहे। हफ्ते भर के भीतर आपदा राहत के तहत 364 करोड़ रुपये की दो किश्तें जारी कर दी। बहुत जल्दी तीसरी किश्त भी जारी हो रही है। सोमवार को केंद्र की टीम आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने आ रही है। आपदा नुकसान के आंकलन के आधार पर ही केंद्र सरकार भावी मदद की योजना बनाती है। सेना, एनएचएआई आज भी अपने काम में जुटी हुई हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ‘सुक्खू’ का यह कहना कि केंद्र सरकार कि तरफ से अभी तक कोई वित्तीय राहत नहीं मिली है, शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बयान हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार इधर-उधर की बातें करने के बजाय बाढ़ प्रभावितों को राहत देने का काम करे, क्योंकि अभी तक लोगों तक कोई राहत नहीं पहुंच पाई है। मैंने दो जिलों का दौरा किया, वहां के हालात बहुत बुरे हैं। जिन लोगों के घर नष्ट हो गए हैं, उन लोगों को तंबू तक नहीं मिला हैं। बिजली पानी और संचार व्यवस्था बहाल नहीं हो पाई है। एक हफ्ते से ज्यादा समय हो गया और बाढ़ प्रभावितों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आपदा में भी डीजल का दाम बढ़ाकर प्रदेश के लोगों पर बोझ डालने वाले मुख्यमंत्री केंद्र पर सिर्फ बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, उन्हें बेबुनियाद आरोप लगाने के बजाय राहत और पुनर्वास के कार्यक्रमों पर ध्यान देना चाहिये क्योंकि कई ऐसी जगहें हैं अभी तक जहां तक कोई भी सरकारी सहायता पहुंची ही नहीं है और लोग अभी भी शासन-प्रशासन की राह देख रहे हैं। सरकार वहां तक तुरंत मदद पहुंचाए।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मंत्रियों को बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर राजनीति करने की बजाय राहत कार्यों पर ध्यान देना चाहिए और अब जमीनी स्तर पर काम होने चाहिए। बाढ़ प्रभावितों से मिलने पर पता चलता है कि अभी तक सरकार ने क्या काम किए हैं। इस आपदा में लोगों को कोई राहत नहीं मिल पा रही है। मंत्रियों को एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए, समन्वय के साथ काम करना चाहिए, लेकिन वह जुबानी जंग में जुटे हैं। मुख्यमंत्री केंद्र सरकार पर हमले करने में जुटे हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इतने कम समय में 364 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता, एनडीआरएफ, वायुसेना द्वारा हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू, सेना, बीआरओ द्वारा रास्ता खोलने का काम क्या केंद्र की सहायता नहीं हैं। आपदा में सरकार का काम प्रभावितों को राहत पहुंचाना होता हैं, न कि राहत पहुंचाने वाली संस्थाओं की निंदा कर उन्हें हतोत्साहित करना। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पर उंगली उठाने वाले बताएं कि उन्होंने क्या किया। डीजल के दाम बढ़ाए नतीजन ट्रांसपोर्टर ने दाम बढ़ाए अब राहत सामग्री से लेकर पुनर्निर्माण सामग्री तक सब महंगी हो जाएगी। सरकार के इस तानाशाही भरे फैसले का असर हर प्रदेशवासी पर पड़ेगा।
हर काम करने की एक प्रक्रिया होती हैं
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हर काम करने की एक निर्धारित प्रक्रिया होती हैं। आर्थिक मदद देने के पहले विशेषज्ञों द्वारा नुकसान का आंकलन किया जाता है और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाती हैं। इसके बाद की योजनाएं तैयार की जाती हैं। आपदा से निपटने की प्रक्रिया हैं। सबसे पहले राहत और बचाव कार्य। इसके बाद पुनर्वास और पुनर्निर्माण। आपदा आते ही राहत और बचाव के लिए केंद्र ने कुशलतम संस्था एनडीएफआर को लगाया गया, वायुसेना और सेना को लगाया गया। नुकसान का जायजा लेने के लिए सोमवार को टीमें आ रही हैं। केंद्र सरकार ने त्वरित सहायता के तौर पर दो हफ्ते के भीतर ही 364 करोड़ की 2 किश्तें जारी कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने हर प्रकार की मदद करने का भरोसा दिया है। हमारी पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से लेकर बूथ लेवल के कार्यकर्ता और सरकार के सभी विभाग काम पर लगे हैं फिर भी मुख्यमंत्री ऐसी गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी कर रहे हैं।
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