रोप-वे परियोजना से ‘पहाड़ों की रानी’ की बदलेगी तस्वीर

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शिमला, 9 जून। पहाड़ों की रानी शिमला को यातायात जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रदेश सरकार रोप-वे परियोजना पर कार्य कर रही है। इसके माध्यम से पर्यावरण मित्र, साफ-सुथरा एवं हरित परिवहन सेवाओं पर कार्य करके शहर की पर्यटन क्षमता को भी प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
पहाड़ी इलाकों और दूरदराज के क्षेत्रों में एक कुशल परिवहन नेटवर्क विकसित करना एक बड़ी चुनौती है। परिवहन के पारंपरिक साधनों जैसे सड़क, रेल और वायु मार्ग का उपयोग करके ऐसे क्षेत्रों में सुदृढ़ परिवहन नेटवर्क स्थापित करने के लिए कई तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसी के दृष्टिगत मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की सोच है कि प्रदेश में परिवहन के सुरक्षित, अभिनव और किफायती तरीकों के उपयोग के माध्यम से ऐसे स्थानों को वाहनों की भीड़भाड़ से मुक्त किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिमला रोपवे परियोजना का विस्तार 14.13 किलोमीटर का होगा और यह शहर के विभिन्न स्थानों पर 15 स्टेशनों को आपस में जोड़ेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कुल परियोजना लागत लगभग 1546.40 करोड़ रुपये है। यह शहरी रोपवे परियोजना दुनिया में अपनी तरह की दूसरी और भारत में पहली होगी और इससे शिमला शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार धर्मशाला और मनाली शहर में इसी तरह की शहरी रोप-वे परियोजनाओं को विकसित करने की योजना बना रही है।
शिमला शहर के लिए यह परियोजना रोप-वे एंड रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आरटीडीसी) के माध्यम से संचालित की जाएगी और निगम ने इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की तैयारी में पर्याप्त प्रगति की है, जिसके 30 जून 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके लिए ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। इसके अलावा, भू-तकनीकी जांच और ईएसआईए की अध्ययन प्रक्रिया जारी है।
मुख्यमंत्री का कहना है कि रज्जू मार्ग (रोप-वे) परिवहन के एक सुविधाजनक, सुरक्षित और पसंदीदा साधन के रूप में उभरा है, जो हिमाचल जैसे पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में तीव्र संपर्क सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ शहरों को भीड़भाड़ से भी राहत प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल, स्वच्छ और हरित परिवहन साधन होने के अलावा यह हरित और स्वच्छ हिमाचल के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को साकार करने में मदद करेगा।
शिमला की जनसंख्या लगभग 3.08 लाख है और यहां वार्षिक लगभग 40 लाख पर्यटक पहुंचते हैं। शहर के दोनों तरफ बसावट के साथ संकरी सड़कें हैं, जो पर्यटन सीजन के दौरान शिमला पहुंचने वाले हजारों पर्यटक वाहनों के साथ और भी जटिल हो जाती हैं, जिससे यात्रियों को यातायात जाम से भारी असुविधा का सामना करना पड़ता है।
रोप-वे परियोजना शिमला के प्रवेश बिंदु पर यहां आने वाले पर्यटकों को अपने वाहनों को पार्क करने के उपरांत शिमला की मनोहारी पहाडि़यों की प्राकृतिक सुंदरता और यहां के शांत वातावरण का आनंद लेने के लिए दूरगामी सिद्ध होगा।

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