धर्मशाला, 23 मई। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां कांगड़ा जिले को राज्य की पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए कार्यान्वित की जा रही पर्यटन और अन्य प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार कांगड़ा जिले में जल, साहसिक, धार्मिक और स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा दे रही है और इससे संबंधित आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए लगभग 3000 करोड़ व्यय किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले को पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए हवाई संपर्क आवश्यक है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कांगड़ा हवाई अड्डे का विस्तार और रक्कड़ और पालमपुर में हेलीपोर्ट का निर्माण कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार पारंपरिक पर्यटन स्थलों के जीर्णोंद्धार पर दृढ़ता से कार्य कर रही है और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ट्रैकिंग रूट्स की पहचान करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने परियोजना को समय सीमा के भीतर पूरा करने और एफसीए (वन संरक्षण अधिनियम) और एफआरए (वन अधिकार अधिनियम) की मंजूरियों में तेजी लाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांगड़ा हवाई अड्डे के रनवे की लंबाई पहले चरण में कुल 1900 मीटर और दूसरे चरण में 3010 मीटर तक बढ़ाने की योजना है, जोकि ए-320 प्रकार के विमानों के संचालन के लिए उपयुक्त होगा। उन्होंने कहा कि पहले चरण के लिए अधिग्रहण की कुल लागत 572.07 करोड़ रुपये है और एसआईए रिपोर्ट 9 मई को प्राप्त की गई है। उन्होंने कहा कि रक्कड़ और पालमपुर में हेलीपोर्ट के विकास के लिए साइटों की पहचान कर ली गई है। रक्कड़ हेलीपोर्ट की अनुमानित लागत 6.66 करोड़ रुपये और पालमपुर हेलीपोर्ट की 9 करोड़ रुपये है। मुख्यमंत्री ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ज्वालाजी में हेलीपोर्ट के लिए भूमि चिन्हित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी विकास कार्यों के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि मटौर-शिमला और पठानकोट-मंडी राजमार्गों को सुविधाजनक बनाने के लिए 5 मीटर की मध्यम चौड़ाई के साथ चार लेन तक विस्तारित किया जाएगा।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि धर्मशाला में 130 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर प्रस्तावित है और यह कांगड़ा जिले में सम्मेलन पर्यटन को प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए 2.19 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि नगरोटा में प्रस्तावित वेलनेस रिजॉर्ट और हाई एंड इंटरनेशनल फाउंटेन के लिए 5.75 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है और यहां एक कृत्रिम झील का निर्माण भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विरासत गांव गरली में एक गोल्फ कोर्स का निर्माण भी प्रस्तावित है, जो लगभग 318 कनाल भूमि में विकसित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सकोह में आइस स्केटिंग रिंक और रोलर स्केटिंग रिंक के लिए दो हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है। परियोजना को व्यवहार्य बनाने के लिए 12 कनाल अतिरिक्त भूमि की पहचान की गई है और एशियाई विकास बैंक द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
उन्होंने कहा कि नरघोटा में पर्यटन गांव बनाने का प्रस्ताव है और इसके लिए भूमि चिन्हित कर ली गई है। जिस स्थान पर पर्यटक गांव का निर्माण प्रस्तावित है, वहां हिमुडा के पास 25 हेक्टेयर भूमि है। हिमुडा की भूमि के समीप निजी भूमि का भी अधिग्रहण प्रस्तावित है, जिसकी पहचान भी कर ली गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पालमपुर के समीप डेस्टिनेशन रिजॉर्ट का निर्माण करने के लिए मैंझा में भूमि चिन्हित कर पर्यटन विभाग को हस्तांतरित कर दी गई है। पालमपुर और नगरोटा बगवां नगरों में विकास के दृष्टिगत सौंदर्यीकरण की परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। पालमपुर शहर के सौंदर्यीकरण के तहत 58 करोड़ रुपये की कुल लागत से एचआरटीसी बस स्टैंड के पास एक बहुस्तरीय पार्किंग का निर्माण, पुरानी सब्जी मंडी के पास एक पार्किंग, भंडारण एवं वर्षा जल संचयन सुविधाएं, एक पर्यटक स्वागत केंद्र, सड़कों और गलियों का सौंदर्यीकरण व उन्नयन, न्यूगल कैफे का जीर्णोद्धार, तथा लैंडस्केप संवर्धन कार्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि नगरोटा बगवां सौंदर्यीकरण परियोजना के तहत पुराने बस स्टैंड, गांधी मैदान, नारदा शारदा मंदिर, मटौर गार्डन और बरोह का सौंदर्यीकरण कार्य शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पौंग बांध में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना पर भी कार्य चल रहा है। अपेक्षाकृत उथले पानी के लिए जाना जाने वाला नंगल चौक क्षेत्र को पर्यटन केंद्र के विकास के दृष्टिगत वन्यजीव अभयारण्य से बाहर रखा जाएगा। इस हब में गर्म हवा के गुब्बारे, जेटी, एंगलिंग केन्द्र, एंगलर हट्स, पैडल बोट और पेंटबॉल और रॉक क्लाइंबिंग जैसी गतिविधियों के साथ एक मनोरंजन पार्क जैसी विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध होंगी। डाडासीबा में नंगल चौक क्षेत्र पंजाब की ओर से सुलभ है। यह पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य क्षेत्र है। धमेटा क्षेत्र से सटे मथियाल और कठरा खास, जल साहसिक खेलों और प्रशिक्षण सुविधाओं के लिए उपयुक्त स्थान हैं। इन क्षेत्रों को मोटरबोट की सवारी, क्रूज, नौका अनुभव और रोमांचकारी राइड के लिए विकसित किया जा सकता हैै। उन्होंने एक बारहमासी नाले के साथ-साथ 1.2 किलोमीटर तक फैली एक कृत्रिम झील बनाने के लिए एक उपयुक्त स्थान की पहचान करने की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्यमंत्री ने देहरा विधानसभा क्षेत्र के बनखंडी क्षेत्र में प्राणी उद्यान की योजना पर भी चर्चा की। 195 हेक्टेयर भूमि पर बनने वाले इस पार्क का उद्देश्य आगंतुकों को बेहतरीन अनुभव प्रदान करना है। यह उम्मीद है कि मोनोरेल से जंगली प्राणी दिखाई देंगे और उन्हें खुले बाड़ों में रखा जाएगा। पार्क के लिए केंद्रीय चिडि़याघर प्राधिकरण (सीजेडए) से जून माह तक अनुमति प्राप्त होने की उम्मीद है। इसके प्रथम चरण के विकास में लगभग 260 करोड़ रुपये व्यय होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत संस्थागत देखभाल की आवश्यकता वाले लोगों के लिए एकीकृत केंद्र का निर्माण भी प्रस्तावित है। यह ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र की लूथन पंचायत में लगभग 120 कनाल भूमि पर बनाया जाएगा। इसको स्थापित करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री ने सलाहकार नियुक्त करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूलों के निर्माण की भी समीक्षा की। मंत्रिमंडल ने कांगड़ा जिले के जयसिंहपुर, पालमपुर, शाहपुर, नगरोटा बगवां, जवाली और जसवां परागपुर विधानसभा क्षेत्र में इन स्कूलों के निर्माण को मंजूरी दी है।
बैठक में उपस्थित विधायकों ने कांगड़ा जिला को राज्य की पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित के लिए बहुमूल्य सुझाव भी दिए।
कृषि मंत्री चंद्र कुमार, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष रघुवीर सिंह बाली, मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल और किशोरी लाल, विधायक सुधीर शर्मा, भवानी सिंह पठानिया, केवल सिंह पठानिया, संजय रत्न, यादवेंद्र गोमा और मलेंद्र राजन, प्रधान सलाहकार (सूचना प्रौद्योगिकी एवं नवाचार) गोकुल बुटेल, जिला कांग्रेस अध्यक्ष अजय महाजन और उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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