शिमला, 23 मई। सिरमौर के महाराजा का ग्रीष्मकालीन महल 140 साल से अधिक पुराना बैंटनी कैंसल था जिसका मुख्य भवन दिखावटी टयूडर शैली मंे निर्मित दो मंजिला संरचना है जिसे आंशिक शैलेट और लघु टावरों के साथ एक ढलान वाली छत के द्वारा ढका गया है। कहा जाता है कि इस इमारत को टीईजी कूपर ने राजा सुरेंद्र विक्रम प्रकाश की निगरानी में डिज़ाइन किया था। 1880 ईस्वी में इसका निर्माण शुरू होने से पहले यह जगह कैप्टन ए. गॉर्डन से संबंधित थी जिसमंे सेना के अधिकारी रहते थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिरमौर के शासकों ने औपनिवेशिक सरकार को इस परिसर का उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए दिया था।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहां धर्मशाला के पास योल में दफ़नाए गए अधिकांश इतालवी कैदियों के संदेशों को भेजने के लिए ऑल इंडिया रेडियो से संबंधित युद्ध बंदी अनुभाग रखा गया था। आज़ादी के ठीक बाद लाहौर में स्थित प्रतिष्ठित समाचार पत्र (‘‘द ट्रिब्यून’’) ने चंड़ीगढ़ में स्थानांतरित होने तक यहां काम करना शुरू कर दिया।
भारत की स्वतंत्रता से पूर्व बैंटनी दरभंगा के महाराजा के हाथों में चला गया। 1957-58 ईस्वी में दरभंगा के महाराजा सर कामेश्वर सिंह ने इस संपत्ति को पंजाब सरकार को किराये पर दे दिया जिसमें आरंभ में पंजाब और उसके बाद हिमाचल पुलिस के विभिन्न अनुभाग कई वर्षों तक यहां स्थापित रहे। पुलिस अधिकारियों की मैस भी इस परिसर में स्थापित रही।
1968 ईस्वी में इस परिसर के पुलिस के पास रहते हुए ही प्रमुख स्थानीय व्यापारिक परिवार रामकृष्ण एंड संस़ द्वारा इस संपत्ति को खरीदा गया। वर्ष 2017 मंे हिमाचल सरकार ने इस 19000 वर्ग मीटर एस्टेट और भूमि का अधिग्रहण विस्तृत परिसर बनाने के लिए किया।
अब बैंटनी कैंसल का संरक्षण लगभग 29 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है ताकि 3700 वर्ग मीटर के क्षेत्र में प्रस्तावित विरासत संग्रहालय, बहुउद्देशीय हॉल, कला-शिल्प तथा लाइट एंड साउंड शो का संचालन किया जा सके।
इस महल के मुख्य भवन में शीघ्र ही एक डिजिटल संग्रहालय खुलने जा रहा है जो अभिनव और जन उन्मुख होगा ऐसी आशा है।
मंत्रमुग्ध करने वाला 30 मिनट का लाइट एंड साउंड शो (हिन्दी और अंग्रेज़ी) संस्करणों में इस ऐतिहासिक शहर के विभिन्न पहलुओं की यात्रा का वर्णन करते हुए शुरू से अंत तक सभी को बांधे रखता है। पहाड़ी शहर के लिए यह पहली प्रस्तुति, आने वाले दिनों में स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण होगा। प्रस्तावित लाइट एंड साउंड शो डिजिटल कला तकनीक का उपयोग करने वाला पहला प्रोडक्शन होगा, जो ऐतिहासिक स्थल पर इसकी नींव से ही बैंटनी कैसल के नज़रिए से शिमला के इतिहास को चित्रित करेगा। यह शो शिमला की स्थापना से लेकर आज तक के बारे में एक नाटकीय प्रदर्शन है। बॉलीबुड अभिनेता अनुपम खेर ने अपनी आवाज इस चित्रण को दी है। इस शो को देखने के लिए एक साथ 70 लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है जिसे अंग्रेज़ी और हिंदी भाषाओं में आम जनता के लिए प्रदर्शित किया जाएगा।
#Bantony_Castle
सुक्खू 23 से कांगड़ा जिले के प्रवास पर, विकास में दूरगामी भूमिका निभाएगा दौरा