शिमला, 2 मई। पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व हाईड्रोजन, ईंधन के रूप में प्रयुक्त करने के लिए एक बेहद शक्तिशाली ऊर्जा स्रोत होने के अतिरिक्त स्वच्छ ऊर्जा का वाहक भी है। हाईड्रोजन, इंजन वाले वाहन में उपयोग करने पर यह ईंधन केवल बिजली, गर्मी और पानी का उत्सर्जन करता है। वर्तमान में विश्व के अनेक देश जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में हाईड्रोजन का ईंधन के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
प्रदेश में भी हरित ऊर्जा की प्रचुरता है और हाईड्रोजन का उत्पादन कर राज्य सरकार ने इस हरित ऊर्जा के दोहन की पहल की है। इस दिशा में हाल ही में राज्य सरकार ने नए और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के दोहन और विकास में सहयोग के लिए एक विस्तृत रूपरेखा तैयार करने के लिए ऑयल इंडिया लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता ज्ञापन 31 मार्च 2026 तक हिमाचल प्रदेश को भारत का प्रथम हरित ऊर्जा राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ऑयल इंडिया लिमिटेड ने प्रदेश में स्थलीय परियोजनाओं की स्थापना के अतिरिक्त जलाशयों में तैरने वाले सौर संयंत्रों की स्थापना की संभावनाओं को तलाशने का निर्णय लिया है। ऑयल इंडिया लिमिटेड कम्पनी पायलट आधार पर हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादन के लिए भी संयंत्र स्थापित करने पर विचार कर रही है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन इन परियोजनाओं को लागू करने के लिए स्थलों का निरीक्षण करने के लिए शीघ्र ही विशेषज्ञों का एक दल भी हिमाचल भेजेगी।
प्रदेश सरकार और ऑयल इंडिया लिमिटेड के मध्य यह सहयोग सौर ऊर्जा, हरित हाईड्रोजन, संपीडि़त बायोगैस, भूतापीय ऊर्जा और पवन ऊर्जा सहित विभिन्न नई और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास पर केंद्रित होगा। यह साझेदारी राज्य में नई ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना में सहायक होगी और इससे रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। यह क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगा।