गरीब व कमजोर वर्गों के कल्याण पर बजट में विशेष बल

339

शिमला, 23 मार्च। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य की बागडोर संभालते ही यह संदेश दिया कि हिमाचल की नवगठित सरकार निराश्रित बच्चों, महिलाओं और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के अभिभावक अथवा संरक्षक के रूप में कार्य करेगी।
अपने पहले हरित बजट में प्रदेश की खराब वित्तीय सेहत के बावजूद मुख्यमंत्री ने सभी वर्गों को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया है और विशेष तौर पर सामाजिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाने और 27 वर्ष की आयु तक उन्हें अपनाने के निर्णय ने एक ओर विपक्षी दलों को चुप्पी साधने पर मजबूर किया है, वहीं समाज के विभिन्न वर्गों ने सरकार के इस कदम की सराहना की है। वर्तमान सरकार ने महिलाओं, बच्चों और अन्य कमजोर वर्गों की सामाजिक सुरक्षा एवं उनके कल्याण के लिए 2233 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया है।
वरिष्ठ नागरिकों, अनाथ एवं दिव्यांग बच्चों और निराश्रित महिलाओं के लिए एकीकृत आवासीय परिसर के रूप में आदर्श ग्राम सुख-आश्रय परिसर की घोषणा ने मुख्यमंत्री की असहाय एवं आवासहीन लोगों के प्रति संवेदनाओं को गहरे से प्रकट किया है। इन परिसरों में 400 आवासियों के रहने की सुविधा होगी।
इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए सरकार ने विधवाओं और 40 से 69 प्रतिशत तक दिव्यांगजनों को पेंशन लाभ के लिए आय सीमा की पात्रता को समाप्त करते हुए ग्राम सभाओं को इनके चयन संबंधी अनुशंसा की शक्तियां भी हस्तांतरित की हैं। 12 करोड़ रुपये के अतिरिक्त व्यय के साथ इस राहत भत्ता योजना से विधवा महिलाओं के साथ ही लगभग 9000 नए दिव्यांगजन लाभान्वित होंगे। इसके अतिरिक्त बजट में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के अंतर्गत् 40 हजार नए पात्र लाभार्थियों को लाने की भी घोषणा की गई है।
101 करोड़ रुपये की मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के अंतर्गत् अनाथ, अर्द्ध-अनाथ एवं दिव्यांग बच्चों की समुचित देखभाल के लिए एक कदम आगे बढ़ते हुए इन बच्चों को, ‘सरकार ही माता, सरकार ही पिता’, की भावना के अनुरूप ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाने तथा 27 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक इनकी देखभाल का बीड़ा उठाया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि यह बच्चे परिवार के सुख से वंचित नहीं रहने चाहिए, यही इस योजना को प्रारंभ करने की मूल भावना है। इस योजना के अंतर्गत् वर्ष में एक बार इन बच्चों को हवाई सेवा के माध्यम से शैक्षणिक भ्रमण पर विभिन्न राज्यों में भेजने के साथ ही उन्हें थ्री-स्टार होटलों में ठहरने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
परित्यक्त अथवा एकल नारियों को आवासीय सुविधा के अभाव सहित कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन महिलाओं की पीड़ा को समझते हुए मुख्यमंत्री ने इस बजट में मुख्यमंत्री विधवा एवं एकल नारी योजना की घोषणा की है जिसके तहत पात्र विधवा एवं एकल नारियों को गृह निर्माण के लिए सरकार की ओर से डेढ़ लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। वर्ष 2023-24 में इस योजना से लगभग 7000 महिलाएं लाभान्वित होंगी और उन्हें गृह निर्माण सहित विद्युत एवं जल आपूर्ति जैसी आधारभूत सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी।
ऐसी अनेक कल्याणकारी योजनाओं के साथ ही संसाधनों की कमी के कारण उच्च शिक्षा से वंचित गरीब बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना की घोषणा की गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसके अंतर्गत् 200 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।

जल के उपयोग में अपने व्यवहार में लाएं आवश्यक बदलाव

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here