उपायुक्त आज बचत भवन में अक्षय तृतीया पर आयोजित होने वाले विभिन्न समारोह के दौरान बाल विवाह, बच्चों के नशीली दवाइयों, मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम व अवैध तस्करी के लिए गठित जिला स्तरीय कमेटी द्वारा किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका भी अहम है। उन्होंने पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भी बाल विवाह की रोकथाम के लिए अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह अधिनियम, 2006 के अंतर्गत बाल विवाह करवाने वाले वर-वधु दोनों पक्षों के माता-पिता, भाई-बहन, अन्य पारिवारिक सदस्यों, विवाह करवाने वाले पंडित व अन्य धर्म गुरू, विवाह में शामिल बाराती, बाजे, घोडे़, टेंट वाले, हलवाई और विवाह कार्यक्रम में सम्मलित होने वाले अन्य सभी संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है।
उपायुक्त ने बैठक के दौरान शिक्षा विभाग को स्कूल छोड़ने वाले और नियमित रूप से स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की सूची तैयार करने के निर्देश भी दिए ताकि उन बच्चों को चयनित कर बाल विवाह की संभावना को खत्म किया जा सके। इसके उपरांत उपायुक्त ने बच्चों के बीच नशीली दवाओं मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम और अवैध तस्करी के लिए जिला स्तर पर तैयार की जाने वाली पर संयुक्त कार्य योजना पर सभी विभागों के सुझाव लिए। उन्होंने कहा कि बच्चों में नशीली दवाओं मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्य योजना तैयार की जा रही है ताकि बच्चे नशे की कुरीति से दूर रह सकें।
उपायुक्त ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए सभी लोगों से भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। उन्होंने आज की युवा पीढ़ी के भविष्य को देखते हुए सभी लोगों को जागरूक रहकर इस सामाजिक बुराई को रोकने में अपेक्षित सहयोग प्रदान करने की बात कही।
बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी अमित मेहरा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विनोद धीमान, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ कपिल शर्मा,उपनिदेशक उच्च शिक्षा प्यार सिंह चाडक, बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी, पुलिस विभाग के अधिकारियों सहित गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।