शिमला, 23 सितंबर। हिमाचल प्रदेश के पशु पालन विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि राज्य में गौवंश में फैल रहे लंपी चमड़ी रोग के बारे में पशुपालकों को जागरूक करने के लिए नियमित रूप से समाचार पत्रों, जागरूकता शिविरों, पोस्टर तथा पैम्पलेट्स व अन्य माध्यमों द्वारा सूचना उपलब्ध करवाई जा रही है। अभी तक 650 शिविरों का आयोजन कर 27,500 किसानों को इस बीमारी के बारे में जानकारी प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग द्वारा स्थिति पर पूर्ण रूप से नजर रखी जा रही है तथा विभिन्न स्तरों पर समीक्षा बैठकें निरंतर आयोजित की जा रही हैं। सभी प्रभावित जिलों में विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की टीमें बनाई गई हैं, जो रोगी पशुओं को तुरंत उपचार उपलब्ध करवा रही हैं। प्रत्येक जिले के सहायक निदेशक, परियोजना को जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। निदेशालय स्तर पर भी टास्क फोर्स और वार रूम स्थापित किया गया है, जिसका दूरभाष नंबरः 0177-2650938 है।
उन्होंने कहा कि 22 सितंबर तक प्रदेश के नौ जिलों में 87,645 पशु इस रोग से ग्रसित पाए गए हैं। 5019 गौवंश की मृत्यु दर्ज की गई है तथा अब तक 45,425 पशु इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में अभी तक इस रोग की संक्रमण दर 3.65 प्रतिशत तथा मृत्यु दर 5 प्रतिशत के करीब है। प्रदेश में इस बीमारी के लिए संवेदनशील पशुओं की कुल संख्या 24,00,638 है।
इस बीमारी से प्रभावित क्षेत्रों के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में रोग प्रतिरोधी टीकाकरण किया जा रहा है तथा अब तक 2,37,748 गायों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। सभी जिलों में रोगी पशुओं के उपचार के लिए पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि विभाग के सभी जिला अधिकारियों को लंपी चमड़ी रोग के इलाज, टीकाकरण व रोकथाम इत्यादि के बारे में संबंधित उपायुक्तों से भी निरंतर संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए गए है। स्थानीय निकायों के माध्यम से विभिन्न स्थानों पर मक्खी-मच्छर की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सभी जिलों से इस रोग के बारे में प्रतिदिन सूचना एकत्रित कर भारत सरकार को भेजी जा रही है। बीमारी से संबंधित टीकाकरण, मृत्यु व संक्रमण दर इत्यादि से संबंधित विवरण विभाग की वेबसाइट पर बनाए गए डैश बोर्ड पर भी प्रतिदिन उपलब्ध करवाया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा 18 अगस्त को पूरे प्रदेश में लंपी चमड़ी रोग की अधिसूचना जारी की गई है। इस अधिसूचना के फलस्वरूप सभी जिलों के उपायुक्तों को प्राधिकृत अधिकारी घोषित किया गया है। पशुओं के आवागमन पर भी रोक लगाई गई है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा भी इस बीमारी को महामारी घोषित करने के लिए मामला केंद्र सरकार के समक्ष उठाया गया है ताकि मृत पशुओं के मालिकों को मुआवजा दिया जा सके।
प्रदेश में बीमारी का जायजा लेने के लिए केंद्र सरकार की टीम ने 12 सितंबर को बिलासपुर जिले और 13 सितंबर को ऊना जिले का दौरा किया था। इस टीम ने लंपी चमड़ी रोग के नियंत्रण के लिए पशु पालन विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
प्रदेश में लंपी चमड़ी रोग समाप्त होने तक विभाग के सभी तकनीकी अधिकारियों व कर्मचारियों तबादलों पर रोक लगाई गई है।
गौवंश में फैल रहा लंपी चमड़ी रोग संक्रामक रोग है। यह विषाणु जनित रोग संक्रमित पशु के संपर्क में आने और मक्खी व मच्छर द्वारा संक्रमित पशु को काटने के बाद स्वस्थ पशु को काटने से फैलता है।