जनजातीय क्षेत्रों के तीव्र विकास के लिए 846.49 करोड़ का प्रावधान

810

शिमला, 18 जुलाई। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों के समान एवं संतुलित विकास और जनजातीय लोगों के कल्याण के प्रति अपने दृढ़संकल्प पर कार्य करते हुए प्रदेश सरकार ने कई पहले की है जिसके परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों का तेजी के साथ विकास हो रहा है। प्रदेश में जनजातीय समुदाय की जनसंख्या कुल जनसंख्या का 5.71 प्रतिशत है और इस समुदाय के सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिए जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत कुल राज्य योजना राशि का 9 प्रतिशत भाग चिन्हांकित है। जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम का आकार वर्ष 2018-19 में 567 करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 639 करोड़ रुपये जबकि वर्ष 2020-21 में 711 करोड़ रुपये किया गया। वर्ष 2021-22 के लिए सरकार ने 846.49 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। यह जानकारी प्रदेश सरकार के एक प्रवक्‍ता ने दी।
सीमा क्षेत्र विकास योजना के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में 25.95 करोड़ रुपये केन्द्रीय हिस्से व 2.88 करोड़ रुपये राज्य के हिस्से के रूप में, 2019-20 में 27.50 करोड़ रुपये केन्द्रीय व 3.05 करोड़ रुपये राज्य की हिस्सेदारी के रूप में प्रदान किए गए। वर्ष 2021-22 के लिए 25 करोड़ रुपये केन्द्रीय हिस्से और 2.78 करोड़ रुपये का राज्य के अंश के रूप में प्रावधान किया गया है। जनजातीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत परिवहन, सड़कों एवं पुलों और भवन निर्माण पर वर्ष 2018-19 के दौरान 127.69 करोड़ रुपये, 2019-20 में 147.33 करोड़ रुपये, 2020-21 के दौरान 195.90 करोड़ रुपये खर्च किए गए जबकि वर्ष 2021-22 के लिए 244.06 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है।
20 सूत्रीय कार्यक्रम- 2006 के प्रावधानों के अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में निर्धारित 7095 लक्ष्यों के विरुद्ध 8669 जबकि वर्ष 2020-21 के लिए निर्धारित 6829 लक्ष्यों के मुकाबले 7509 लक्ष्यों की प्राप्ति हुई। वर्ष 2018-19 के दौरान जनजातीय क्षेत्र पांगी व भरमौर में टैलीमेडिसन की सुविधा प्रदान करने का निर्णय लिया गया जिसके अन्तर्गत वर्ष 2018-19 में 200 लाख रुपये, 2019-20 में 174 लाख रुपये और 2020-21 में 193 लाख रुपये का प्रावधान किया गया। वर्ष 2021-22 में 84 लाख रुपये प्रस्तावित किए जा रहे हैं।
भारत सरकार ने 2018-19 के दौरान तीन नए एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल भरमौर, पांगी ओर लाहौल में खोलने की स्वीकृति प्रदान की जिन्हें शैक्षणिक सत्र 2019-20 से आरम्भ कर किया दिया है। केंद्र सरकार से इन आवासीय विद्यालयों के भवन निर्माण के लिए अब तक 32 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है। वर्तमान में प्रदेश में चार एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय कार्यशील हैं जिनमें 554 अनुसूचित जनजातीय छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 को जनजातीय क्षेत्रों व गैर-जनजातीय क्षेत्रों में तीव्र गति से क्रियान्वित करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय निगरानी समिति गठित की गई है। प्रदेश के पंचायत चुनावों के उपरान्त जिला व उप-मंडल स्तरीय समितियों के गठन की प्रक्रिया प्रगति पर है। अब तक पांच जिला स्तरीय एवं 35 उप-मण्डल स्तरीय समितियों का गठन किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त, ग्राम स्तर पर 17,503 वन अधिकार समितियों का गठन किया गया है।
प्रदेश में अभी तक 1918.9369 हेक्टेयर वन भूमि पर सामुदायिक वन अधिकारी और 2.4129 हेक्टेयर वन भूमि पर व्यक्तिगत अधिकार चिन्हित व निहित किए गए हैं। जनजातीय क्षेत्र लाहौल व पांगी के लिए रोहतांग अटल टनल का निर्माण कर राष्ट्र को समर्पित किया गया है जो इस क्षेत्र के लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है और प्रदेश में पर्यटन विकास को भी नया आयाम मिला है। स्पीति (काजा) में समुद्र तल से 12040 फीट की ऊंचाई पर युवा सेवाएं एवं खेल विभाग और लद्दाख वुमेन आइस हाॅकी फाउंडेशन द्वारा प्रथम बुनियादी आइस हाॅकी प्रशिक्षण का सफल आयोजन किया गया।

जोगिंद्रनगर में जलशक्ति विभाग खर्च कर रहा 378 करोड़: महेंद्र सिंह

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here