शिमला, 8 नवंबर। हिमाचल प्रदेश में जनता ने भाजपा के रिवाज बदलो को नकारकर सत्ता कांग्रेस को सौंप दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और मंत्रियों-मुख्यमंत्रियों की फौज भी भाजपा सत्ता के करीब नहीं ला पाई। बेरोजगार युवाओं, सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों, महंगाई, अग्निवीर और सेब बागवानों की नाराजगी का मुद्दा इस बार भाजपा पर भारी पड़ा और मोदी की अपील भी उसके काम नहीं आई।
हिमाचल प्रदेश की जनता ने इस बार भी रिवाज नहीं बदला और पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन करने के अपने रिवाज पर कायम रही। हिमाचल की जनता ने भाजपा को पिछली बार से 19 सीटें कम देते हुए कांग्रेस को 40 सीटों पर विजयी बनाया और सत्ता की चाबी उसे सौंप दी। कांग्रेस को इस बार 19 सीटों का फायदा हुआ है, जबकि हिमाचल में सरकार बनाने का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त करवा दी। वहीं, तीन निर्दलीय भी चुनाव जीतने में कायम रहे। भाजपा सरकार के कई मंत्रियों को भी हार का सामना करना पड़ा। इस बार जयराम ठाकुर सरकार के केवल दो ही मंत्री जीत दर्ज कर पाए इनमें पांवटा साहिब से सुखराम और जसवां परागपुर से विक्रम सिंह ठाकुर जीते हैं। बाकी सब हार गए। हालांकि धर्मपुर से मंत्री रहे महेंद्र सिंह की जगह उनके बेटे को टिकट दिया गया था, मगर वह भी हार गया।
राज्य के सबसे बड़े जिले में भाजपा मात्र चार सीटों पर जीत हासिल कर पाई। यहां पर कांग्रेस ने 10 सीटों पर और एक निर्दलीय ने जीत हासिल की है। यहां पर सेना में अग्निवीरों की भर्ती को लेकर भी युवाओं में काफी रोष व्याप्त था। मुख्यमंत्री ठाकुर पर इस क्षेत्र की उपेक्षा का भी आरोप था।
राज्य के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सिराज विधानसभा से रिकॉर्ड जीत हासिल की और उनके गृह जिले मंडी की नौ सीटों पर भी भाजपा के प्रत्याशियों को विजयश्री मिली। एक सीट पर परिवारवाद के चलते उपजे विवाद के चलते भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के गृह जिले हमीरपुर में भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई। यहां पर भी कर्मचारी, पेंशनर और अग्निवीर मुद्छा हावी रहा।
सोलन जिले से भी भाजपा का पूरी तरह सफाया हो गया। यहां स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल को कांग्रेस प्रत्याशी से करारी हार का सामना करना पड़ा। यहां पर चार सीटों पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय ने जीत हासिल की। यहां पर दो सीटों पर भाजपा तीसरे स्थान पर रही।भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह जिले बिलासपुर में मंत्री रहे राजेंद्र गर्ग को घुमारवीं विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि जिले में भाजपा का ओवरऑल प्रदर्शन ठीक रहा है।
शिमला जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा को महज एक विधानसभा सीट चौपाल से ही कामयाबी मिली है, बाकी सभी सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। यहां पर सेब बागवानों की नाराजगी भी भाजपा पर भारी पड़ी।
ऊना जिले से भी भाजपा को समर्थन नहीं मिल पाया। जिले की पांच में से केवल एक सीट पर ही भाजपा जीत दर्ज कर पाई। जिले के कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र से जयराम सरकार में मंत्री रहे वीरेंद्र कंवर चुनाव हार गए। वहीं, सिर्फ ऊना सीट से सतपाल सत्ती ने जीत दर्ज करके भाजपा की लाच बचाई। जबकि हरोली, चिंतपूर्णी, गगरेट और कुटलैहड़ से कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।
जनजातीय जिलों लाहौल-स्पीति और किन्नौर में भी भाजपा को हार मिली है।