धर्माणी ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा कांग्रेस के सशक्त उम्मीदवार हैं। उन्होंने देश-विदेश में हिमाचल प्रदेश का नाम चमकाया है। वह केंद्रीय मंत्री रहते प्रदेश व कांगड़ा जिले को अनेक सौगातें दे चुके हैं। उन्होंने कांगड़ा जिले के इंदौरा में डेढ़ सौ करोड़ रुपये की सौगात देकर इंडस्ट्रियल पार्क खुलवाया। चाय बागवानों के लिए नेशनल टी बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय मंजूर करवाया। पालमपुर में वह सेरीकल्चर विस्तार केंद्र भी खुलवा चुके हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश को पासपोर्ट कार्यालय की सौगात भी दी है। इससे पहले प्रदेश के लोगों को पासपोर्ट बनाने के लिए चंडीगढ़ या अन्य जगह जाना पड़ता था। शिमला में कार्यालय खुलने के बाद से लाखों पासपोर्ट बन चुके हैं। आनंद शर्मा की यह प्रदेश को बड़ी देन है। उन्होंने पूरे राज्य में सड़क निर्माण, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं अन्य विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपये की राशि सांसद निधि से प्रदान की है। आईआईटी मंडी का नींव पत्थर उन्होंने रखा है। आनंद शर्मा ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला, ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज नेरचौक व आईआईआईटी ऊना जिला को दिलाने में मदद की। केंद्रीय मंत्री रहते चंबा, नाहन व हमीरपुर मेडिकल कॉलेज दिलाने में भी उनका सहयोग रहा है।
धर्माणी ने कहा, आनंद शर्मा ने यह विकास कार्य इसलिए नहीं किए कि उन्हें चुनाव लड़ना था। आनंद ने प्रदेश में विकास को और गति देने के लिए यह काम किए। उन्होंने अपनी राज्यसभा की सांसद निधि पूरे प्रदेश में वितरित की है।
भाजपा के सांसद हिमाचल का विकास करवाने में पूरी तरह विफल रहे। आपदा में उन्होंने जनता का साथ नहीं दिया, न ही प्रधानमंत्री से विशेष राहत पैकेज मांगने की हिम्मत जुटा पाए। आनंद शर्मा जिस भी मंत्रालय में यूपीए सरकार में मंत्री रहे, उसमें सराहनीय कार्य किया। हिमाचल के जितने भी मंत्री केंद्र में रहे हैं, उनमें सबसे अधिक व बेहतरीन काम आनंद शर्मा ने किया है। भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री तो राजनीतिक रोटियां सेंकने में ही व्यस्त रहते हैं।