नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वैसे तो नेता अपनी पार्टी के नेताओं को, आलाकमान को पत्र लिखकर कहते हैं कि टिकट दे दीजिए। टिकट मिलने के लिए सौ प्रयास करते हैं। कांग्रेस के नेताओं की हालत अलग है। कांग्रेस के नेता अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहते है कि उन्हें टिकट न दिया जाए। उनकी बातें सुनी जाएं। इसके बाद भी टिकट मिल जाने के डर से अपने पत्र को भी लीक किया जाता है। कांग्रेस की यह हालत आज सिर्फ़ हिमाचल में ही नहीं देश भर में हैं। लेकिन हिमाचल के नेताओं द्वारा चुनाव लड़ने से मना करना समझ के परे हैं। यहां तो उनकी सरकार है, अगर उन्होंने अपनी सरकार में काम किए होते तो आज जनता के बीच जाने से क्यों डरते हैं। क्योंकि वह अपने आप यह सत्य तो जान ही रहे हैं कि उन्होंने कुछ नहीं किया। कांग्रेस के एक नहीं कई बड़े नेताओं ने कोई न कोई बहाना बनाकर चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने डेढ़ साल में कुछ खोलने नहीं सिर्फ़ बंद करने का काम किया है। इसीलिए प्रदेश के लोगों ने कांग्रेस को सबक़ सिखाने का मन बना लिया है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में क़ानून व्यवस्था रसातल में चली गई है। पुलिस लोगों द्वारा पकड़े गए पालमपुर के आरोपी को ले गई लेकिन बिटिया को सड़क पर ही छोड़ दिया, जबकि उसे हॉस्पिटल ले जाना चाहिए, बिटिया को स्थानीय लोग अस्पताल ले गए। मुख्यमंत्री कह रहे है कि यह क़ानून व्यवस्था का मामला नहीं हैं। उनके इसी तरह के बयानों से ही अपराधियों के डरने की बजाय उनका हौसला बढ़ रहा है। शिमला में जो नाबालिग बच्ची के साथ होने की खबर आ रही है, बद्दी में दिनदहाड़े खूनी झड़प हो रही है, गोलियां चल रही हैं। यह सब बर्बाद हो चुकी क़ानून-व्यवस्था का मामला ही हैं और मुख्यमंत्री इस बात को जितनी जल्दी स्वीकार कर लें उतना ही अच्छा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री को वर्तमान स्थिति के लिए ख़ुद का दोष स्वीकारना चाहिए। उनके द्वारा की गई जलालत के कारण ही विधायक नाराज़ हुए। हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री ने अपने ही विधायकों की आवाज़ को अनसुना कर दिया। कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी स्तर पर अपनी बात रखते हुए साफ़ कहा कि हिमाचल से ही राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया जाए, यह बात भी नहीं सुनी गई तो विधायकों ने अपनी आवाज़ सुनाने की कोशिश की। कांग्रेस के पर्यवेक्षक को दिखाकर ही भाजपा के प्रत्याशी को वोट दिया। सब कुछ शीशे की तरह साफ़ है, बस उसे ईमानदारी से देखने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री के पास अगर ख़रीद-फ़रोख़्त के सबूत हैं तो वह जनता के सामने रखे कोर्ट के सामने रखें। इस तरह से बातें करने से पहले वह अपने पद का ध्यान रखें। यह बातें जयराम ठाकुर ने आज चंबा ज़िले के डलहौज़ी और चंबा के विभिन्न कार्यक्रमों और पत्रकार साथियों के साथ बातचीत के दौरान कही।