शिमला, 11 मार्च। हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आज यहां कहा कि राज्य में केवल 60 से कम विद्यार्थियों की संख्या वाले महाविद्यालयों को डिनोटीफाई किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार द्वारा नए शैक्षणिक संस्थानों को क्रियाशील करने के लिए पर्याप्त स्टाफ, भूमि के स्वामित्व के हस्तांतरण तथा नए भवनों के निर्माण के लिए धन उपलब्ध करवाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। इसके अतिरिक्त इन संस्थानों में आवश्यक बुनियादी अधोसंरचना सृजित करने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किए गए।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कई संस्थान अपर्याप्त कर्मचारियों के साथ क्रियाशील हैं और कुछ कक्षाएं केवल नाममात्र कर्मचारियों और एक अध्यापक की तैनाती कर चलाई जा रही है। पूर्व भाजपा सरकार ने सिर्फ संस्थानों की संख्या बढ़ाने के दृष्टिगत लगातार घोषणाएं कीं। इन संस्थानों में गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है इसी के दृष्टिगत विभिन्न निर्णय लिए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा विद्यार्थियों का भविष्य उज्ज्वल बनाने एवं उनके लिए रोजगार के अवसर सृजित करने की दिशा में दृढ़ प्रयास किए जा रहे हैं।
रोहित ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार छात्रों के भविष्य की आवश्यकताओं और प्रतिस्पर्धा के दौर में ध्येय को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के उद्देश्य से भी अनेक महत्वाकांक्षी कदम उठा रही है। विभिन्न संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और नवीनतम प्रौद्योगिकी आधारित पाठ्यक्रम आरंभ करने की योजना तैयार की जा रही है ताकि छात्रों को वैश्विक स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सभी बच्चों के लिए समावेशी, समान तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना सुनिश्चित किया जा रहा है। प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों तथा शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लिए सभी उचित कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार अपने कार्यकाल के अंतिम छह महीनों में बजटीय प्रावधानों के बिना 920 संस्थान खोले और स्तरोन्नत किए गए। जो विद्यार्थियों और राज्य की भलाई के बजाय राजनीतिक हितों से प्रेरित थे।