शिमला, 31 सितंबर। हिमाचल प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (HIPA) में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रावधानों पर एक राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया गया। इसका संचालन राज्य कर और आबकारी शिमला की सहायक आयुक्त पूनम ठाकुर (एचपीआरएस) ने किया।
पूनम ठाकुर ने कार्यक्रम के दौरान जीएसटी और इसके कार्यान्वयन को विस्तृत ढंग से समझाया। इसमें प्रमुख प्रावधानों पर जोर दिया गया जो खादी और ग्रामोद्योग के संचालन को सीधे प्रभावित करते हैं। प्रतिभागियों को जीएसटी की बुनियादी बातों और उन्नत अवधारणाओं पर पूरी तरह से शिक्षित किया गया।
ई-वे बिलः जीएसटी के तहत माल की आवाजाही के लिए आवश्यक दस्तावेज को इलेक्ट्रॉनिक रूप से तैयार करने की प्रक्रिया, पारदर्शिता और ट्रैकिंग में आसानी सुनिश्चित करना।
ई-चालान E-invoicing: जीएसटी मानकों के अनुपालन में चालान बनाने, कर रिटर्न को सरल बनाने और वास्तविक समय पर ट्रैकिंग सुनिश्चित करने की एक स्वचालित प्रणाली।
जीएसटी के तहत टीडीएस प्रावधानः स्रोत पर कर कटौती के संबंध में महत्वपूर्ण दिशानिर्देश, जिसका उद्देश्य कर संग्रह प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और कानूनी मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करना है।
यह सत्र खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्र की विशिष्ट चुनौतियों और जरूरतों को संबोधित करने के लिए तैयार किया गया था, जिससे हितधारकों को स्पष्टता और आत्मविश्वास के साथ कर कानूनों की जटिलताओं को सुलझाने में मदद मिलेगी।
प्रशिक्षण अत्यधिक ’इंटरैक्टिव साबित हुआ, जिसमें प्रतिभागी सक्रिय रूप से चर्चा में शामिल हुए और अपने व्यवसाय से संबंधित प्रासंगिक प्रश्न उठाए। छोटे पैमाने के उद्योगों में जीएसटी नियमों के आवेदन से लेकर ई-चालान के निहितार्थ तक के प्रश्नों के उत्तर पूनम ठाकुर’ ने सरल रूप से दिए।
पूनम ठाकुर की इन व्यावहारिक प्रतिक्रियाओं ने न केवल संदेहों को दूर किया बल्कि हितधारकों को उनके दिन-प्रतिदिन के कार्यों में सामना होने वाले सामान्य मुद्दों का व्यावहारिक समाधान भी प्रदान किया।
कर सलाहकार श्री. राकेश शर्मा ने ’प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष
कराधान प्रणाली’ के सत्र में प्रश्नों का भी समाधान किया। उनके सत्र में आयकर, कॉर्पाेरेट कर और संबंधित अनुपालन उपायों के महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया, जो भारतीय कराधान प्रणाली का समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। प्रत्यक्ष कर प्रशिक्षण ने प्रतिभागियों को कर योजना, अनुपालन और फाइलिंग प्रक्रिया पर कार्रवाई योग्य ज्ञान प्रदान किया, जो उनके उद्यमों के वित्तीय स्वास्थ्य और कानूनी स्थिति के लिए आवश्यक है।
पूनम ठाकुर ने ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के महत्व पर जोर दिया और उन्होंने आगे कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम यह सुनिश्चित करने में मदद करते हैं कि व्यवसाय, विशेष रूप से खादी और ग्रामोद्योग जैसे ग्रामीण और पारंपरिक क्षेत्रों में, उनके लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ उठाते हुए कर कानूनों का अनुपालन करते रहें। उन्होंने स्थानीय उद्योगों के विकास का समर्थन करने वाले कर-अनुकूल वातावरण बनाने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला।
प्रशिक्षण का समापन प्रतिभागियों द्वारा जीएसटी और प्रत्यक्ष कर दोनों विषयों के व्यापक कवरेज के लिए आभार व्यक्त करने के साथ हुआ। उन्होंने इस तरह के सूचनात्मक सत्र के आयोजन के लिए राज्य कर और आबकारी विभाग और एचपीकेवीआईबी के प्रयासों की सराहना की, जिसने न केवल उन्हें ज्ञान के साथ सशक्त बनाया बल्कि कर नियमों से संबंधित विभिन्न चिंताओं को स्पष्ट करने में भी मदद की।
यह पहल कर साक्षरता को बढ़ावा देने और हिमाचल प्रदेश के सभी क्षेत्रों में कर कानूनों के निर्बाध कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए ’राज्य कर और आबकारी विभाग’ के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
प्रशांत सिरकेक (एच.ए.एस.) अतिरिक्त निदेशक हिपा सह सीईओ हिमाचल प्रदेश खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड और पाठ्यक्रम समन्वयक दिनेश शर्मा इस दौरान मौजूद थे। अतिरिक्त निदेशक हिपा ने कहा कि प्रशिक्षण विशेष रूप से ’’हिमाचल प्रदेश खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड (एचपीकेवीआईबी)’ के हितधारकों के लिए डिजाइन किया गया था और इसका उद्देश्य गतिशील कर परिदृश्य की उनकी समझ को बढ़ाना था। यह कर जागरूकता और अनुपालन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।