रामपुर/शिमला, 10 जुलाई। अपने हजारों समर्थकों की नम आखों के बीच हिमाचलवासियों के दिलों का राजा एवं पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हो गए। राजसी परंपराओं का निर्वहन करने के बाद पदम पैलेस से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई और शाम 4 बजे के बाद बेटे विक्रमादित्य ने नम आंखों से पिता को रामपुर में जोबनी बाग में स्थित स्वर्गधाम में मुखाग्नि दी।
राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि में राज्य के कोने-कोने से कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के नेता भी अंतिम दर्शन करने रामपुर पहुंचे थे। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री सहित सत्तापक्ष और विपक्ष के कई नेता इस अंतिम यात्रा में उपस्थित हुए।
हिमाचल प्रदेश के चप्पे-चप्पे से पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थकों आज अपने दिलों पर राज करने वाले अपने इस नेता को श्रद्धांजलि देकर इस बात को साबिनेत कर दिया कि वीरभद्र सिंह राजा नहीं फकीर थे और वे प्रदेश की जनता के मन में इस कदर अपनी जगह बना गए थे कि मौत के दिन से लेकर पंचतत्व में विलीन होने तक पूरे प्रदेश में शोक मनाया जाता रहा।
हिमाचल प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी अध्यक्ष श्री कुलदीप सिंह राठौर सहित कॉंग्रेस के सभी वरिष्ठ नेता अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने मुक्तिधाम स्थल पर मौजूद हैं। pic.twitter.com/A4bRMDmDVd
— Himachal Congress (@INCHimachal) July 10, 2021
कोरोना काल के बावजूद उनके अंतिम दर्जन करने के लिए लाखों की संख्या में लोग शिमला और रामपुर पहुंचे। वहीं जगह-जगह उनको श्रद्धांजलि दी गई। जीवन प्रयंत कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहने के बावजूद उनका अन्य दलों के नेताओं से भी गहरा लगाव इस बात से साबित होता है कि उन्हें श्रद्धासुनम अर्पित करने के लिए खासतौर पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शिमला पहुंचे थे।
पदम पैलैस रामपुर में उमड़ा यह जनसैलाब अपने प्रिय राजा के अंतिम दर्शन के लिए ऑंखे बिछाए ईन्तज़ार कर रहा है। pic.twitter.com/8SxFqelUlQ
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उधर, आज रामपुर स्थित राज दरबार पदम पैलेस में सुबह नौ बजे वीरभद्र सिंह की पार्थिव देह के सामने पर्दे में विक्रमादित्य सिंह का राजसी परंपरा के तहत राजतिलक हुआ और उन्हें राजगद्दी सौंपने की परंपरा निभाई गई। विक्रमादित्य सिंह बुशहर रियासत के 123वें राजा बने हैं। बंद कमरे में राज पुरोहितों ने राजतिलक की परंपरा का अनुष्ठान करवाया। इस दौरान पारंपरिक लोकवाद्य यंत्रों की ध्वनियों से राजा की रियासत गूंज उठी।