कांगड़ा, 14 जनवरी। श्री नगरकोट धाम माता बज्रेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा में आज से भव्य घृतमंडल पर्व की शुरुआत हो गई है। करीब ढाई क्विंटल देशी घी से मक्खन तैयार करके माता की पवित्र पिंडी पर चढ़ाया गया है और इसे आज देर रात तक विभिन्न प्रकार के मेवों से सजाया जाएगा। सात दिन तक चलने वाले इस घृत मंडल का आयोजन शताब्दियों से होता आ रहा है। इस दौरान देश और विदेशों से मां भगवती के श्रद्धालु माता का अशीर्वाद लेने पहुंचेंगे। मकर संक्रांति के दिन से शुरू होने वाले इस पर्व के पहले दिन जागरण का आयोजन भी किया जाता है।
जालंधर दैत्य से युद्ध में घायल माता के घावों पर लगाया जाता है मक्खन
घृत मंडल पर्व के आयोजन के पीछे कई तरह की मान्यताएं हैं। एक मान्यता के अनुसार जालंधर दैत्य से हुए भयंकर युद्ध के दौरान माता ने उसका बध किया, मगर इस दौरान माता के शरीर पर अनेक घाव हुए थे। देवी-देवताओं ने इन घावों को शांत करने के लिए माता के शरीर पर घृत का लेप किया था। कहा जाता है कि उस दौरान देवी-देवताओं ने देसी घी को एक सौ एक बार शीतल जल से धोकर उसका मक्खन बनाया था और उसे माता के शरीर पर आए घावों पर लगाया था। यह परंपरा सदियों से वैसे ही चली आ रही है और अब मंदिर के पुजारी एवं प्रशासन भक्तों से दान में दिए गए देशी घी को 101 बार ठंडे पानी में धो कर मक्खन तैयार करते हैं। इस मक्खन से मां के पिंडी स्वरूप को पहाड़ की आकृति में ढकने के बाद इसे विभिन्न प्रकार के फलों और मेवों से सजाया जाता है। वहीं सात दिन तक चलने वाले इस पर्व में मंदिर को भी फुलों और लाइटों से सजाया जाता है। मंदिर की सुंदरता श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है।
चर्म रोग ठीक करता है माता पर चढ़ा मक्खन
मान्यता है कि शरीर में होने वाले चर्म रोगों और जोड़ों के दर्द में लेप करने के लिए यह प्रसाद रामबाण का काम करता है। सात दिन के पर्व के बाद अंतिम दिन मक्खन को पिंडी पर से उतार कर इसे प्रसाद के तौर पर श्रद्धालुओं में वितरित किया जाता है। स्थानीय लोग व श्रद्धालु इसे संभाल कर रखते हैं और इस दौरान होने वाले चर्म रोगों, पुराने घावों व फोड़ों पर इसे लेप करके दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। बताया तो यह भी जाता है कि कई लोगों ने इसके लेप से गंभीर रोगों तक से छुटकारा पाया है।