शिमला, 4 जून। स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां कहा कि कोविड मरीजों को कवारंटीन होने तथा सामाजिक भय और सामान्य जुखाम को हलके में लेने के कारण स्वास्थ्य संस्थानों में पहुंचाने में देरी की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि को-मॉर्बिड मरीजों को डीसीसीसी तथा डीसीएचसी संस्थानों में दाखिल कर उनकी सघन निगरानी की जानी चाहिए तथा सांस लेने में तकलीफ या ऑक्सीजन की कमी का शीघ्र पता लगाया जाना चाहिए। को-मॉर्बिड तथा वृद्धजन मरीजों को नियमित रूप से अस्पताल जाने के बजाय ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से टेली परामर्श सेवाओं का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने सभी लोगों विशेषकर को-मॉर्बिड मरीजों से कोविड टीकाकरण के लिए आगे आने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन में रह रहे कोविड-19 के मरीजों को नियमित फॉलोअप के लिए हिमाचल कोविड केयर ऐप पर पंजीकरण करवाना चाहिए ताकि उनकी नियमित निगरानी की जा सके। इससे मरीज की स्थिति बिगड़ने पर समय रहते उच्च स्वास्थ्य संस्थान में रेफर करने से मृत्यु दर में कमी सुनिश्चित होगी।
रेमडेसिविर और स्टेरॉयड के सदुपयोग के संबंध में दिशानिर्देश जारी
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में कोविड के मरीजों को शीघ्र स्वास्थ्य संस्थानों में पहुंचाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए है। इस उद्देश्य के लिए 24 घंटे कार्यशील समर्पित केंद्रीय डेस्क स्थापित किया जा सकता हैं जो आम लोगों को जागरूक करेगा। उन्होंने सभी चिकित्सकों से समय-समय पर भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, केंद्र सरकार, एम्स, आइसीएमआर तथा प्रदेश सरकार द्वारा जारी उपचार प्रोटोकॉल व दिशा-निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 जैसे लक्षणों वाले मरीजों तथा आरटी-पीसीआर टेस्ट में नेगेटिव आने वाले मरीजों में यदि ऑक्सीजन की कमी पाई जाती है तो उन्हें अस्पताल के ट्राइएज क्षेत्र में दाखिल कर कोविड-19 प्रबंधन के लिए बताया गया उपचार आरंभ किया जाना चाहिए।