कोरोना काल में ऐसे वीडियो निराशाजनक, स्वास्थ्य कर्मियों के मनोबल को तोड़ने वाले

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हमीरपुर, 17 मई। डॉ. राधाकृष्णन राजकीय मेडिकल कॉलेज, हमीरपुर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. रमेश चौहान ने आज यहां जारी एक वक्तव्य में कहा कि रंगस क्षेत्र के एक 80 वर्षीय व्यक्ति को 14 मई को डीसीएचसी में भर्ती कराया गया था और 15 को उन्हें कोविड वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। आज वह मरीज सामान्य था। उनका एसपीओ-2 स्तर दाखिले के बाद से ही बिना ऑक्सीजन के 92-94 प्रतिशत था। उन्हें कोई लक्षण नहीं थे और डॉक्टर द्वारा राउंड के दौरान उनकी अस्पताल से छुट्टी देने की बात कही गई थी। इस बारे में उन्हें भी बताया गया था कि आज छुट्टी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा कि उक्त मरीज ऑक्सीजन के बिना था और उसमें भूलने की बीमारी (माइल्ड डिमेंशिया) के कुछ लक्षण हैं जैसा कि बुढ़ापे में आम है।

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डॉ. चौहान ने कहा कि वह हमेशा छुट्टी की गुहार लगाता रहता था और इस बारे में सुनने के बाद सोमवार दोपहर को वह शौचालय की ओर गया और उसने बस दरवाजा खोला तथा बाहर आ गया। राऊंड करवा रहे कर्मचारियों को जब पता चला कि मरीज दरवाजा खोल कर बाहर चला गया है, तो वे तुरंत उसके पीछे दौड़े और उसे वापस ले आए। यह सब कुछ ही सेकेंड में घटित हुआ। हालांकि बाद में मरीज को एम्बुलेंस में घर शिफ्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस वार्ड को बाथरूम के पास अंदर से बंद किया जाता है और सुरक्षा कर्मी पीएसए प्लांट पर नजर रखने गया था।

उन्होंने कहा कि जहां तक पीपीई किट मांगने की बात है तो सभी शव स्थानीय प्रशासन द्वारा समर्पित वाहनों में स्थानांतरित किए गए। पीपीई किट श्मशान स्थल पर उपलब्ध करवाए जाते हैं और हमें अस्पताल से आपूर्ति नहीं की जाती है।

डॉ. रमेश चौहान ने कहा कि कोविड की अवधि में जब अस्पताल के कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं और लोग अपने प्रियजनों के दाह-संस्कार के लिए भी आगे नहीं आ रहे हैं, इस तरह के वीडियो निराशाजनक हैं और कर्मचारियों की कार्यक्षमता व मनोबल पर विपरीत असर डालते हैं। उन्होंने वीडियो में लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए अनुरोध किया है कि सभी पक्ष इस महामारी में अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करें। किसी भी तरह के सुधार के लिए संस्थान निरंतर प्रयासरत रहता है।

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