बागवानों ने बदले ”शाहपुरे दे जले खट्टे अंब“ लोकगीत के बोल, प्रेरणास्रोत बने पूर्ण चंद

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धर्मशाला, 9 जून। एक समय शाहपुर अपने अचारी और मिट्ठू आमों की बागवानी के लिए जगत् प्रसिद्ध था। शाहपुर के आमों की इस खासयित को लोक ने अपने शब्दों में ढालकर इन्हें लोकगीतों की शक्ल दे दी। प्रदेश के लोकगायकों ने इन्हें अपने अंदाज में बयां करते हुए आम जनमानस में लोकप्रिय बना दिया। लेकिन अब शाहपुर आमों की बागवानी के साथ सेबों की बागवानी में हाथ आजमाते हुए अपनी अलग पहचान बना रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि लोग सेबों को किस तरह लोकगीतों में ढालते हैं।
शाहपुर तहसील के गांव दुरगेला के बागवान पूर्ण चंद ने प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद तीन साल के भीतर सेबों के साथ कुछ ऐसा प्रयोग कर दिखाया कि अब वे आसपास के बागवानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। अब क्षेत्र में जब भी सेब की उम्दा पैदावार का जिक्र होता है तो पूर्ण चंद का नाम एक मिसाल के तौर पर लिया जाता है। पूर्ण चंद ने वर्ष 2018 में प्रदेश के बागवानी विभाग के मार्गदर्शन एवं सहयोग से सेब का बगीचा लगाया था। उनकी कड़ी मेहनत से दो वर्ष के भीतर पौधों में फल आने शुरू हो गए। उन्होंने गत वर्ष लगभग छह किवंटल सेब बेचा। उनके बागीचे की विशेषता है कि वह अपने बागीचे में किसी रासायनिक खाद या स्प्रे का प्रयोग नहीं करते। इसके स्थान पर वह विभिन्न तरह से बनाए जानी वाली जैविक खादें, जोकि दालों, किचन वेस्ट, ऑयल सीड, गौमूत्र तथा गोबर द्वारा बनाई जाती हैं, का ही प्रयोग करते हैं। वह यह सब
खुद ही तैयार करते हैं।
पूर्ण चंद कहते हैं कि इस बार सेब की फसल काफी अच्छी थी। लेकिन पिछले दिनों हुई ओलावृष्टि तथा तूफान से उन्हें नुकसान पहुॅंचा है। लेकिन इसके बावजूद वह अब तक लगभग एक क्विंटल सेब बेच चुके हैं। सेबों की गुणवत्ता के चलते खरीददार उनके घर पर आकर ही सेब खरीद ले जाते हैं। उन्होंने जमीन लीज पर लेकर सेब के लगभग 25 हजार पौधौं की नर्सरी भी तैयार कर ली है। उनके पौधे गुजरात और महाराष्ट्र तक अपनी पहचान बना चुके हैं।
पूर्ण बताते हैं कि इस वर्ष सर्दियों के मौसम में उन्होंने लगभग दो से ढ़ाई हजार पौधे बेचे। इस दौरान करीब 25 परिवारों ने लगभग 50-50 पौधे लगाए हैं। वह सेब के पौधे लगाने में खुद लोगों की मदद करते हैं। गौरतलब है कि सेब के पौधे सर्दियों के मौसम में लगाए जाते हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा पौधों पर सब्सिडी के अलावा एन्टी हेलनेट के लिए भी पूर्ण चंद को 80 प्रतिशत उपदान दिया गया है। इस समय उन्हांेने 3-4 कनाल के बागीचे में लगभग 150 अन्ना तथा डोरसेट प्रजाति के पौधे लगाए हैं। उन्होंने बागीचे की सिंचाई के लिए एक जल भंडारण टैंक बनाया है। वह पौधों की सिंचाई आधुनिक तकनीक से बनाई वाटर गन से करते हैं, जिससे कम समय और जल से पूरे बागीचे की सिंचाई हो जाती है। उन्होंने अपने बगीचे में ओलावृष्टि तथा पक्षियों से बचाव के लिए एंटी हेलनेट भी लगाई है।
पूर्ण चंद युवाओं से स्वरोजगारी होने का आह्वान करते हुए कहते हैं कि वह अपनी जमीन को बंजर न छोड़ें और पारंपरिक खेती से हटकर बागवानी को अपनाकर सेब, कीवी और अमरूद आदि के पौधे लगाकर बागवानी शुरू करें। वह सेब के बगीचे लगाने में लोगों को पूर्ण सहयोग देते हैं। युवा प्रदेश सरकार द्वारा आरंभ विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आजीविका सुदृढ़ कर सकते हैं। पूर्ण चंद बताते हैं कि बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी, विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता तथा बागवानी अधिकारी संजीव कटोच से उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शन तथा सहयोग मिलता रहता है।
जिला कांगड़ा उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी कहते हैं कि कांगड़ा जिले में 41 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जाती है। जिले में 47,000 हजार मीट्रिक टन फलों की पैदावार होती है। जिले में 530 हेक्टेयर भूमि पर सेब के पौधे लगाए गए हैं, जिसमें 330 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हो रहा है। सेब के बगीचे अभी कुछ वर्ष पहले ही लगाए गए हैं। अभी इसकी पैदावार कम है। उपनिदेशक ने बताया कि अधिकतर सेब के बगीचे बैजनाथ विकास खंड में लगाए गए हैं। जिले में लो चिलिंग वेरायटी, अन्ना और डोरसेट के पौधे लगाए गए हैं और इस किस्म के सेब 10 जून तक तैयार हो जाते हैं। इन दिनों प्रदेश के किसी भी हिस्से में सेब तैयार न होने के कारण बागवानों को बाजार में अच्छे दाम मिल जाते हैं।
विकास खंड, रैत के बागवानी विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता कहते हैं कि पिछले तीन वर्ष से यहां के किसानों का रूझान बागवानी की ओर बढ़ा है। बागवानों ने सेब, कीवी और अमरूद के पौधे लगाए हैं। शाहपुर के दुरगेला, भनाला, बंडी, रजोल, डढम्ब आदि स्थानों के किसानों ने सेब के पौधे लगाए हैं। इन पौधों से फसल मिलना आरंभ हो गई है। ये पौधे दो-तीन वर्ष के भीतर ही अपनी उपज देना आरंभ कर देते हैं। लोग बागवानी को अपनाकर अपनी आजीविका का माध्यम बना सकते हैं। ऐसे उत्साही लोगों को प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार उद्यान विभाग द्वारा हरसंभव सहायता एवं मार्गदर्शन उपलब्ध करवाया जा रहा है।

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