शिमला, 19 अप्रैल। भारतीय पत्रकार कल्याण मंच द्वारा आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आजादी का अमृत महोत्सव का समापन मुख्य अतिथि बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रांत संयोजक और पूर्व एचपी एसएससी के चेयरमैन भारत भूषण भारती ने किया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय विश्राम गृह में आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में पूर्व मंत्री करण देव कंबोज, विधायक सुभाष सुधा और सदस्य सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार सूरजभान कटारिया मुख्य रूप से उपस्थित हुए। भारतीय पत्रकार कल्याण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन आश्री और राष्ट्रीय महासचिव मेवा सिंह राणा ने मुख्य अतिथि भारत भूषण भारती, पूर्व मंत्री करण देव कंबोज, विधायक सुभाष सुधा व सूरजभान कटारिया का बुके भेंट कर स्वागत किया और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
आजादी के 75 साल पूरे होने पर आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि भारत भूषण भारती ने कहा कि पूरे भारतवर्ष में शहीदों के नाम समर्पित आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। यह वर्ष जहां आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों के नाम रहेगा वही इस वर्ष उन बलिदानी वीर शहीदों को भी याद किया जाएगा, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज नहीं हो पाया। आजादी का अमृत महोत्सव वास्तव में शहीदों के बलिदानों को नमन करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का महोत्सव है। उन्होंने कहा कि ऐसे गुमनाम शहीदों के परिवारों को ढूंढ कर उन्हें सम्मानित करने का काम किया जाएगा। जिसमें पत्रकारों की भूमिका अहम रहेगी। आजादी के आंदोलन में पत्रकारिता ने जो अलख पूरे देश में जगाई थी। उसी की बदौलत स्वतंत्रता का आंदोलन आजादी के रूप में परिणित हुआ था। उन्होंने कहा कि देश उन पत्रकारों का भी सदा ऋणी रहेगा जिन्होंने अंग्रेजों के सामने डटकर लेखनी का प्रयोग किया और उनकी यातनाएं झेली। उन्होंने आजादी का अमृत महोत्सव में पत्रकारों का आह्वान करते हुए कहा कि लोकतंत्र को और अधिक मजबूत बनाने में अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करें ताकि एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया जा सके।
पूर्व मंत्री करण देव कंबोज ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में पत्रकारों को राष्ट्रहित में ऐसे परिवारों की जानकारी जुटानी चाहिए, जिनके परिवार से किसी ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देश के ऊपर स्वयं को बलिदान किया हो। उन्होंने कहा कि जहां कोई नहीं पहुंच सकता वहां पत्रकार पहुंच सकता है। इसलिए ऐसी जानकारी पत्रकारों के माध्यम से सरकार को प्राप्त हो सकती है और देश पर बलिदान होने वाले शहीदों के परिवार को सम्मान दिया जा सके।
विधायक थानेसर सुभाष सुधा ने कहा कि यह देश के लिए बड़े गौरव की बात है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर विश्व भर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों के साथ-साथ उन शहीदों को भी यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी जिनका नाम और दिन का जिक्र आज तक देश नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि पत्रकारों ने हमेशा देश हित में और समाज हित में अपनी लेखनी चलाई है। इसके अलावा पत्रकारों ने समय-समय पर सरकारों को जगाने का काम भी किया है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ने हमेशा लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने का काम किया है।
सदस्य सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार सूरजभान कटारिया ने कहा कि आज जिस खुली हवा में हम सांस ले रहे हैं। इस आजादी को दिलाने के लिए न जाने कितने वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है। इनमें से बहुत सारे स्वतंत्रता के दीवाने ऐसे भी थे जो इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गए हैं। उन सभी वीर बलिदानियों को समर्पित यह आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है।
बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के प्रांत सह संयोजक राजीव मल्होत्रा ने संगोष्ठी में विचार रखते हुए कहा कि जिस प्रकार से आजादी के लिए आंदोलन चलाए गए और बलिदान दिए गए। उसी प्रकार से पत्रकारों ने भी आजादी की अलख जगाने के लिए और स्वतंत्रता को जन आंदोलन बनाने के लिए अहम भूमिका उस समय अदा की थी। पत्रकारिता का वह दौर लोकमान्य तिलक जैसी पत्रकारों और स्वतंत्रता सेनानियों का था।
भारतीय पत्रकार कल्याण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन आश्री ने कहा कि उनका मंच पत्रकारिता के साथ-साथ समाज हित और देश हित के ऐसे मुद्दों को उठाता रहता है, जिनका सीधा सरोकार देश की आम जनता के साथ होता है। आजादी का अमृत महोत्सव इसलिए भी खास महत्व रखता है क्योंकि पत्रकारिता जगत से जुड़े बहुत से पत्रकारों ने आजादी के आंदोलन में अंग्रेजों की यातनाएं झेली। इसीलिए मंच ने आजादी का अमृत महोत्सव से प्रेरित होकर इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हरियाणा में पत्रकारों को पेंशन की सुविधा दी जा रही है। उसी प्रकार प्रदेश के पत्रकारों को पेंशन व स्वास्थ्य सुविधाएं देने हेतु हिमाचल सरकार मीडिया पॉलिसी तैयार करे, ताकि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूती प्राप्त हो सके। उन्होंने सोशल मीडिया के पत्रकारों के लिए भी कोई नीति निर्धारक नियम तैयार करने के बारे में सरकार से अनुरोध करने की बात कही। उन्होंने बताया कि मंच द्वारा प्रतिवर्ष पत्रकारों का 10 लाख रुपये का बीमा करवाया जाता है। इसके अलावा किसी पत्रकार की आकस्मिक मृत्यु होने पर सरकार के सहयोग से परिवार को 2 लाख रुपये का मुआवजा भी दिलवाया जाता है। उन्होंने कहा कि पीत पत्रकारिता करने वाले लोगों से उनका कोई वास्ता नहीं रहता। यदि पत्रकारिता की आड़ में कोई व्यक्ति गलत काम करता है तो भारतीय पत्रकार कल्याण मंच ऐसे पत्रकारों की मुखालफत करता है।
मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष मेवा सिंह राणा ने कहा कि बेशक आज के दौर में पत्रकारिता व्यवसाय बन चुकी है, लेकिन फिर भी पत्रकारिता देश के प्रति अपना कर्तव्य निभा रही है और लोकतंत्र की मजबूती के लिए न्यायपालिका, विधानपालिका व कार्यपालिका को सचेत करने का काम हमेशा करती रही है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर पराक्रम शर्मा, आरती शर्मा, चारु सोलंकी, बुन्नी शर्मा, कमल भारद्वाज, मनोज शांडिल्य, गौरव शूद, सुमन, दिनेश, अजय ठाकुर, समीक्षा, सुशांत, रोहित लामसर, नरेश वधवा, शिवचरण राणा, संजीव राणा, पवन चोपड़ा, पाशाराम, सत्यवान, संजीव बंसल, मोहित सैनी, बलदेव बरेटा, संजीव वर्मा, करण बुट्टी, सचिन, जय भगवान शर्मा और जयप्रकाश दहिया भी मौजूद थे।
नड्डा का कांगडा में रोड शो 22 को, विस चुनाव में जनता दूर कर देगी ‘केजरीवाल’ की गलतफहमी