डीटीए ने इसे सामाजिक न्याय की जीत बताया
नई दिल्ली, 29 मई। एडहॉक टीचर्स विवाद के बाद विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल को एक्सटेंशन देने से इनकार कर दिया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल ने गवर्निंग बॉडी के निर्णय पर अपनी असहमति दर्ज करते हुए 12 एडहॉक टीचर्स की पुनर्नियुक्ति से इनकार कर दिया था। जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रिंसिपल को छह महीने का एक्सटेंशन देने से इनकार कर दिया। आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) पिछले तीन सप्ताह से 12 एडहॉक टीचर्स की पुनर्नियुक्ति और प्रिंसिपल का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने पर उनको हटाए जाने की मांग कर रहे थे। डीटीए ने इसे सामाजिक न्याय की जीत बताया है। एडहॉक टीचर्स में इसको लेकर खुशी का माहौल है।
टीचर्स एसोसिएशन के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल को एक्सटेंशन ना देना शिक्षकों के हितों में लिया गया फैसला है। उन्होंने बताया कि यूजीसी के नियमानुसार प्रिंसिपल का कार्यकाल अब पांच साल का होता है, लेकिन विवेकानंद कॉलेज की प्रिंसिपल को पांच साल से ज्यादा हो गए थे। कार्यवाहक प्रिंसिपल को विश्वविद्यालय से हर छह महीने बाद एक्सटेंशन लेनी पड़ती है, लेकिन पिछले 29 दिन से 12 एडहॉक टीचर्स की पुनर्नियुक्ति ना किए जाने से विश्वविद्यालय प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे थे कि वह प्रिंसिपल को बचा रहा है। इसी बीच कॉलेज गवर्निंग बॉडी ने प्रिंसिपल को छह महीने का एक्सटेंशन देने की मांग की थीं, जिसे विश्वविद्यालय ने साफ मना कर दिया। डॉ. सुमन ने बताया कि गवर्निंग बॉडी वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी के लिए नई प्रिंसिपल की खोज करने में जुट गई है। अब देखना यह है कि वह सीनियर मोस्ट टीचर्स को चार्ज देते हैं या ओएसडी की मांग की जाती है।
कोरोना काल में यहां हुई कॉलेज की प्रिंसिपल को हटाने के लिए ऑनलाइन हड़ताल
डॉ. सुमन ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन कॉलेज गवर्निंग बॉडी से नई कार्यकारी प्रिंसिपल की नियुक्ति करने के लिए सीनियर टीचर या ओएसडी की मांग करने पर वह किसके नाम पर मोहर लगाएगी, वह किसे चार्ज देती है ये जल्द पता चल जाएगा। माना जा रहा है कि नई प्रिंसिपल ही इन 12 एडहॉक टीचर्स की पुनर्नियुक्ति करेंगी। डॉ. सुमन ने विश्वविद्यालय प्रशासन से पुनः मांग की है कि जिस तरह से अपने कार्यकाल में ईडब्ल्यूएस रोस्टर व वर्कलोड के नाम पर शिक्षकों को हटाने, रोस्टर में बदलाव कर उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी है उसकी जांच हो।
डॉ. सुमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से यह भी मांग की है कि ओबीसी कमीशन द्वारा भेजे गए कॉलेज और विश्वविद्यालय को पत्र पर ध्यान देते हुए ईडब्ल्यूएस रोस्टर व एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के पदों में बदलाव के अलावा वर्कलोड खत्म करने की भी जांच की कराई जाए।