डॉ. सुमन डॉ. अंबेडकर नेशनल अवार्ड से सम्मानित

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नई दिल्ली, 11 दिसंबर। भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हंसराज सुमन को डॉ. अंबेडकर नेशनल अवार्ड-2022 से सम्मानित किया। पंचशील आश्रम झड़ौदा में आयोजित दो दिवसीय कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि, पूर्व सांसद व स्वतंत्रता सेनानी संघप्रिय गौतम, पीएसी रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष रमेश चंद्र रत्न और अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सोहनपाल सुमनाक्षर ने डॉ. सुमन को शॉल, स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
डॉ. सुमन ने डॉ. अंबेडकर नेशनल अवॉर्ड मिलने पर अकादमी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस तरह के सम्मान से सामाजिक कार्यकर्ताओं को दलित और पिछड़े समाज के बीच कार्य करने का प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने कहा कि अकादमी को इस तरह के कार्यक्रम पूरे देश में करने चाहिए जिससे कि देश के अंदरूनी क्षेत्रों का दलित और पिछड़ा समाज संविधान द्वारा प्रदत्त अपने अधिकारों को समझ सकें तथा समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।
अकादमी के अध्यक्ष डॉ. सोहनपाल सुमनाक्षर ने बताया कि यह अवार्ड प्रतिवर्ष उन समाजसेवियों को दिया जाता है जो अत्यंत पिछड़े और दलित समुदाय को संविधान प्रदत्त अधिकारों को दिलाने तथा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। भारतीय समाज में पूरी तरह उपेक्षित कर दिए गए समूह को मुख्यधारा से जोड़ना बहुत जरूरी है। डॉ. हंसराज सुमन ऐसे समूह को चिह्नित कर उनके बीच जाकर उन्हें संविधान प्रदत्त अधिकारों से उन्हें अवगत कराते रहे हैं तथा शिक्षा के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते रहे हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर के सच्चे अनुयायी के रूप में डॉ. हंसराज सुमन ने बाबा साहेब के पदचिह्नों पर चलते हुए दलित और पिछड़े समाज के बीच जागरूकता के लिए बहुत काम किया है। अकादमी ने उनके महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यों को देखते हुए वर्ष-2022 का डॉ. अंबेडकर अवार्ड दिया है। डॉ. अंबेडकर की 131वीं जयंती के अवसर पर अकादमी द्वारा बनाई गई ज्यूरी ने डॉ.सुमन के नाम को प्रस्तावित किया था।
डॉ. हंसराज सुमन दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध श्री अरबिंदो कॉलेज में हिंदी साहित्य तथा मीडिया के एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। डॉ. सुमन आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन के पूर्व अध्यक्ष व ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी/एसटी, ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन के भी नेशनल चेयरमैन है। डॉ. सुमन पांच वर्ष तक नॉन कॉलेजिएट सेंटर के प्रभारी भी रहे है। डॉ. सुमन वर्ष-2015-2017 और 2017-2019 तक दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था एकेडेमिक काउंसिल के सदस्य भी रह चुके हैं।
डॉ. सुमन दिल्ली विश्वविद्यालय की अनेक कमेटियों में रहकर अपने दायित्व का पूर्णतः निर्वाह करते रहे हैं। एडमिशन कमेटी, अपॉइंटमेंट्स और प्रमोशन कमेटी, मेडिकल कमेटी, फंक्शन कमेटी, सलेब्स कमेटी के अलावा डॉ. सुमन डीयू की टास्क फोर्स कमेटी के भी सदस्य रहे हैं। डॉ. सुमन को राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक सम्मान व अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें दिल्ली सरकार का सर्वोच्च सम्मान डॉक्टर अंबेडकर अवार्ड-2015 दिया जा चुका है। इसके अलावा लगभग 100 संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। शिक्षण के क्षेत्र में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाते हुए डॉ. सुमन ने 10 पुस्तकों का संपादन किया है तथा राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनके 100 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. सुमन ने न्यू मीडिया में दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की है।
डॉ. हंसराज सुमन ने कहा कि आज का समय चुनौतियों से भरा है आज दलित और पिछड़े समाज को मुख्यधारा में लाकर ही इस समाज का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत का पिछड़ा और दलित समाज बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के विचारों पर चलते हुए ही आगे बढ़ सकता है। सन् 90 के दशक के बाद दलितों की स्थिति में आर्थिक और शैक्षणिक रूप से सुधार हुआ है। राजनैतिक रूप से इनमें सक्रियता भी बढ़ी है। लेकिन संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रति जागरूकता का अभाव रहा है।
उन्होंने बताया कि अब स्थितियाँ काफी बदल गई हैं। दलितों के प्रति लोगों के दृष्टिकोण तथा व्यवहार में परिवर्तन आया है। दलितों पर होने वाले अत्याचार और शोषण में कमी आई है। शहरी क्षेत्रों में दलितों के प्रति अछूत की भावना बहुत कम हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं-कहीं अभी भी छुआछूत और शोषण देखने को मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी उनका संगठन दलितों के बीच जागरूकता का अभियान चलाए हुए हैं।

 

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