समाजसेवा एवं राष्ट्रसेवा ही मेरे जीवन के प्रमुख लक्ष्य
ठाकुर एस.एस. चौहान का जन्म 2 अप्रैल 1956 को हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी की वर्तमान तहसील लड-भड़ोल के पंडोल (तत्कालीन तहसील जोगिंद्रनगर) इलाके में स्थित लाहला गांव के एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ। दसवीं तक की शिक्षा हाई स्कूल पंडोल से ग्रहण करने के बाद आगे की पढ़ाई शिमला व दिल्ली में की। दिल्ली में निजी क्षेत्र में नौकरी करने के साथ-साथ 1979 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में स्वयंसेवक बनकर समाज सेवा में अग्रणी रहे। हिमाचल से दिल्ली में स्थायी तौर पर रहने के बावजूद हिमाचल एवं पहाड़ी क्षेत्र के विकास एवं पहाडि़यों के कल्याण के लिए सन् 2000 में हिमालयन जागृति मंच की स्थापना भी की। हिमाचल में मंडी लोकसभा उपचुनाव को लेकर आजकल ठाकुर एस.एस. चौहान का नाम भी खूब चर्चा में है। कोरोना संक्रमण के चलते 5 मई को चुनाव आयोग ने इस सीट पर होने वाले उपचुनाव को टाल दिया है। ये सीट भाजपा सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन के बाद से खाली है। शर्मा का मार्च में दिल्ली में निधन हुआ था। जिसके बाद छह महीने के भीतर इस सीट पर उपचुनाव होना था। पत्रकार-लेखक एस.एस.डोगरा ने ठाकुर एस.एस.चौहान से उपचुनाव टाले जाने से पहले लंबी बातचीत की थी। प्रस्तुत है उस वार्ता के कुछ अंश…
प्र. हिमालयन जागृति मंच की स्थापना कब की गई।
सन् 2000 में हिमालयन जागृति मंच की स्थापना की।
प्र. मंच की स्थापना के समय में आपको किनका सहयोग मिला और अब भी मिल रहा है।
मंच की स्थापना में इसके संस्थापक सदस्यों लाल चंद पटियाल, स्वरूप चंद राणा, अविनाश शर्मा, लेखराज शर्मा, रोशन लाल बरवाल, नारायण दत शर्मा, कांता देवी, विनोद कुमार, वलवंत सिंह, बलदेव सिंह, कृतिक महाराणा, भूप सिंह ठाकुर और प्राणनाथ भान की भी महत्वपवूर्ण भूमिका थी। इनमें से अब कुछ हमारे बीच में नहीं है और कुछ उम्रदराज होने के कारण मंच की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी नहीं कर पा रहे हैं। अब मेरे अतिरिक्त केवल 2-3 अन्य संस्थापक सदस्य ही इस समय मंच में सक्रिय हैं।
प्र. मंच कितने राज्यों में सक्रिय है।
हिमालयन जागृति मंच एक राष्ट्रीय स्तर का समाजिक संगठन है। शुरू में इसके दिल्ली व हिमाचल प्रदेश समेत 8 विभिन्न राज्यों से कुल सदस्य 112 थे। लेकिन वर्तमान मंच 14 राज्यों में सक्रिय है और इसके अब लगभग 600 सदस्य हैं।
प्र. मंच के गठन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
हिमालयन जागृति मंच के मुख्य लक्ष्य एवं उद्देश्य की बात की जाए तो यह पर्वतीय राज्यों विशेषकर हिमाचल जैसे उपेक्षित प्रदेशों के साथ हो रहे लंबे समय से अन्याय, उपेक्षा का विरोध करते हुए उनके न्यायोचित अधिकार सम्मान दिलवाना, उनकी वर्षों से लंबित मांगों को पूरा करवाना, जटिल पर्वतीय समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए जोर देना आदि है।
प्र. मंच की स्थापना से लेकर संचालन में अब तक आपकी क्या भूमिका रही है?
सन् 2000 में मंच का संस्थापक सदस्य बना और 2004 में मुझे इसका राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। मेरे चयन का उद्देश्य मंच को राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करना था। जिसके लिए मैं लगातार प्रयासरत हूं। मंच के सदस्यों द्वारा मेरी योग्यता, क्षमता, कर्मठता और दूरदर्शिता को देखते लगातार सातवीं बार सर्वसम्मति से इसका अध्यक्ष चुना है। मैं सफलतापूर्वक सभी चुनौतियों का सामना करते हुए समाज सेवा व राष्ट्रहित में समाजिक संगठन का कुशल नेतृत्व करता आ रहा हूं।
प्र. मंच दिल्ली व हिमाचल के अतिरिक्त किन-राज्यों में समाजिक गतिविधियों में सक्रिय है?
हिमालयन जागृति मंच इस समय दिल्ली व हिमाचल के अतिरिक्त उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे कई अन्य राज्यों में भी यथासंभव समाजिक कार्य कर रहा है।
प्र. मंच के वार्षिक उत्सव का क्या उद्देश्य है?
वार्षिक उत्सव में शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद मंच द्वारा किए गए मुख्य और विशेष समाजिक कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है। उसके बाद देश की रक्षा, सुरक्षा में शौर्य, वीरता का प्रदर्शन करने वाले सैनिकों, सुरक्षा बलों के जवानों को/उनके परिवारों को सम्मानित करने के साथ-साथ देश सेवा तथा समाज कल्याण में उत्कृष्ट कार्य करने वाले नागरिकों को भी सम्मानित किया जाता है। कुछ चुनिंदा मेधावी बच्चों को उनकी प्रतिभा अनुसार पुरस्कृत किया जाता है। फिर हिमाचल सहित अन्य पर्वतीय राज्यों की समस्याओं और दिल्ली सहित अन्य बड़े शहरों में पहाड़ी लोगों की कठिनाइयों को उजागर कर उनके उचित समाधान हेतु मंच की कार्य योजना पर प्रकाश डाला जाता है। इस दौरान मंच की गतिविधियों पर विस्तृत जानकारी देने के लिए वार्षिक स्मारिका का अनावरण भी किया जाता है। उत्सव के दौरान पहाड़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाते हैं।
प्र. मंच की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ का ब्यौरा दें।
हिमालयन क्षेत्र एवं पहाड़ी लोगों के कल्याण एवं विकास के लिए हमारे सुझाए कुछ सुझावों पर माननीय राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री सहित हिमाचल के मुख्यमंत्री ने भी समय-समय पर कई योजनाओं को लागू भी किया है। साथ ही मंच ने सैकड़ों जनहित, समाज कल्याण एवं राष्ट्र विकास के कार्य किए हैं जिसमें हिमाचल प्रदेश के जाने-माने राजनेताओं ने भी शिरकत की। हिमाचल में ब्राडगेज रेलवे लाइनें बिछाने, प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों को चार लेन का बनाने, हिमाचल स्थित सभी पनबिजली घरों और डैमों को हिमाचल सरकार के पूर्ण नियंत्रण में सौंपने, तिब्बती शरणार्थियों की हिमाचल में बढ़ती आबादी व विस्तारित कालोनियों पर रोक लगाकर हिमाचल के मूल नागरिकों के कई संपत्ति, अधिकारों व कृषि, पशुपालन आदि व्यवसाय को सुरक्षित रखना और पशु चारागाहों का जंगलीकरण रोकना जैसे विषय हिमालयन जागृति मंच के मुख्य एजेंडे में रहे हैं जिनके लिए लगातार 2 दशकों से यह मंच संघर्ष करता रहा और कुछ सफलता भी मिली है।
अंत में, मंडी लोकसभा उपचुनाव को लेकर आपका नाम भी खूब चर्चा में है?
देखिए, मैंने समाजसेवा को ही परम धर्म माना है चूंकि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बतौर सेवक चालीस से अधिक वर्षों से सेवा भाव से जुड़ा रहा हूं। हिमाचल और हिमाचलवासियों के लिए यदि मुझे सेवा करने का मौका मिलता है तो यह मेरे लिए सौभाग्य का विषय है। पूरे जीवन भर समाजसेवा एवं राष्ट्रसेवा ही मेरे जीवन के प्रमुख लक्ष्य रहे हैं। उम्र के इस पड़ाव में मुझे अपने राज्य का प्रतिनिधित्व का मौका मिलता है तो उसे बखूबी निभाने के लिए मैं तन-मन से तैयार हूं। मंडी जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की अपनी-अपनी समस्याएं हैं, मैं उन सभी समस्याओं का समाधान पूरी ताकत से करने का प्रयास करूंगा और यहां की जनता का कर्ज उतरूंगा और विकास की नई गाथा लिखूंगा। मेरे सहयोगियों भी मेरी इस नई जिम्मेदारी निभाने में साथ देने के लिए तैयार है। मुझे भी लगता है यही सही वक्त है मैं अपने हिमाचल राज्य के विकास हेतु अपने कार्यों से आहूति प्रदान कर पाऊं।
एसएस डोगरा
(वरिष्ठ पत्रकार व लेखक)