नई दिल्ली, 6 फरवरी। तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी ने आज यहां केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से भेंट की। उन्होंने हिमाचल में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान स्थापित करने का आग्रह किया। साथ ही तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास से संबंधित अन्य नए प्रस्तावों सहित लम्बित मामलों पर भी चर्चा की।
राजेश धर्माणी ने कहा कि भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान स्थापित होने से न केवल प्रदेश अपितु देश के वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र को विस्तार मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बन कर उभरा है और यहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मण्डी, अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ऊना, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर और केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में कई प्रतिष्ठित संस्थान स्थापित हैं। यह संस्थान उच्चतर शिक्षा को मजबूत आधार प्रदान करते हुए देशभर की बेहतरीन प्रतिभाओं को अनुसंधान के लिए एक उत्कृष्ट तंत्र भी प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस संस्थान के लिए भूमि प्रदान करने सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए दृढ़संकल्प है। उन्होंने कहा कि हिमालयी पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए यह संस्थान जटिल पर्यावरणीय उपायों में योगदान सुनिश्चित करेगा तथा प्रदेश के सतत विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस योजना को मूर्तरूप प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार और सभी हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए उत्सुक है।
राजेश धर्माणी ने कहा कि राज्य सरकार उद्योगों सहित अन्य सम्बद्ध क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के दृष्टिगत वर्तमान में स्थापित तकनीकी एवं व्यावसायिक संस्थानों को स्तरोन्नत करने तथा नए संस्थान स्थापित करने पर विशेष ध्यान केंद्रिंत कर रही है। इन संस्थानों में नए पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं और युवाओं को नई तकनीकों में पारंगत करने के लिए उन्नत प्रयोगशालाओ और अन्य आधारभूत ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रचुर धनराशि की आवश्यकता है। उन्होंने प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय कौशल केंद्र स्थापित करने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे हिमाचल का युवा विदेशों में स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल, आतिथ्य, रीयल एस्टेट तथा वाणिज्य सेवाओं सहित अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त करने के लिए सक्षम हो सकेगा।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम शिमला में युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप परामर्श, कौशल परीक्षण और प्रमाणन इत्यादि की सुविधा के दृष्टिगत राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से एक टीम स्थायी रूप से तैनात करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उभरती प्रौद्योगिकी के दृष्टिगत प्रदेश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय से सहयोग अपेक्षित है ताकि औद्योगिक 4.0 संकल्पना के तहत मैकेट्रॉनिक्स लैब, नवीकरणीय ऊर्जा इत्यादि क्षेत्रों के लिए कार्यबल तैयार किया जा सके। उन्होंने तकनीकी संस्थानों में ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में सहयोग का भी आग्रह किया।
उन्होंने बहुतकनीकी संस्थानों के माध्यम से सामुदायिक विकास योजना के तहत वर्ष 2023-24 के लिए निधि जारी करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत प्रदेश के छह बहुतकनीकी संस्थान चयनित किए गए हैं। साथ ही वर्ष 2024-25 के लिए योजना के तहत अन्य संस्थान चयनित करने का भी आग्रह किया।
राजेश धर्माणी ने औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिए कौशल सुदृढ़ीकरण परियोजना के तहत निधि समय पर जारी करने तथा इस परियोजना को 31 मई से आगे बढ़ाने का भी आग्रह किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने तकनीकी शिक्षा में बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान सुधार योजना के तहत हिमाचल के चयनित अभियांत्रिकी महाविद्यालयों और बहुतकनीकी संस्थानों को प्रदान की जाने वाली क्रमशः 10 करोड़ एवं 6 करोड़ रुपये की राशि शीघ्र जारी करने का आग्रह करते हुए कहा कि इसके लिए गत वर्ष केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
केंद्रीय मंत्री ने सभी विषयों को ध्यानपूर्वक सुना और शीघ्र ही उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस संस्थान के लिए भूमि प्रदान करने सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए दृढ़संकल्प है। उन्होंने कहा कि हिमालयी पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए यह संस्थान जटिल पर्यावरणीय उपायों में योगदान सुनिश्चित करेगा तथा प्रदेश के सतत विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इस योजना को मूर्तरूप प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार और सभी हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए उत्सुक है।
राजेश धर्माणी ने कहा कि राज्य सरकार उद्योगों सहित अन्य सम्बद्ध क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के दृष्टिगत वर्तमान में स्थापित तकनीकी एवं व्यावसायिक संस्थानों को स्तरोन्नत करने तथा नए संस्थान स्थापित करने पर विशेष ध्यान केंद्रिंत कर रही है। इन संस्थानों में नए पाठ्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं और युवाओं को नई तकनीकों में पारंगत करने के लिए उन्नत प्रयोगशालाओ और अन्य आधारभूत ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रचुर धनराशि की आवश्यकता है। उन्होंने प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय कौशल केंद्र स्थापित करने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे हिमाचल का युवा विदेशों में स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल, आतिथ्य, रीयल एस्टेट तथा वाणिज्य सेवाओं सहित अन्य क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त करने के लिए सक्षम हो सकेगा।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम शिमला में युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप परामर्श, कौशल परीक्षण और प्रमाणन इत्यादि की सुविधा के दृष्टिगत राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से एक टीम स्थायी रूप से तैनात करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उभरती प्रौद्योगिकी के दृष्टिगत प्रदेश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय से सहयोग अपेक्षित है ताकि औद्योगिक 4.0 संकल्पना के तहत मैकेट्रॉनिक्स लैब, नवीकरणीय ऊर्जा इत्यादि क्षेत्रों के लिए कार्यबल तैयार किया जा सके। उन्होंने तकनीकी संस्थानों में ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में सहयोग का भी आग्रह किया।
उन्होंने बहुतकनीकी संस्थानों के माध्यम से सामुदायिक विकास योजना के तहत वर्ष 2023-24 के लिए निधि जारी करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत प्रदेश के छह बहुतकनीकी संस्थान चयनित किए गए हैं। साथ ही वर्ष 2024-25 के लिए योजना के तहत अन्य संस्थान चयनित करने का भी आग्रह किया।
राजेश धर्माणी ने औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिए कौशल सुदृढ़ीकरण परियोजना के तहत निधि समय पर जारी करने तथा इस परियोजना को 31 मई से आगे बढ़ाने का भी आग्रह किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने तकनीकी शिक्षा में बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान सुधार योजना के तहत हिमाचल के चयनित अभियांत्रिकी महाविद्यालयों और बहुतकनीकी संस्थानों को प्रदान की जाने वाली क्रमशः 10 करोड़ एवं 6 करोड़ रुपये की राशि शीघ्र जारी करने का आग्रह करते हुए कहा कि इसके लिए गत वर्ष केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
केंद्रीय मंत्री ने सभी विषयों को ध्यानपूर्वक सुना और शीघ्र ही उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया।