इस संबंध में शिमला में भी शीघ्र ही एक विस्तृत बैठक आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने जाइका को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा ताकि इस दिशा में कार्य योजना तैयार की जा सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में छोटी सुरंगें सम्पर्क सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ यात्रा के समय को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने जाइका से प्रदेश में सुरंग निर्माण को भी अपनी परियोजनाओं में शामिल करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन तीसरा ऐसा क्षेत्र है, जिसमें जाइका अपना सहयोग एवं तकनीक उपलब्ध करवा सकती है। इससे प्रदेश और विशेष तौर पर किसानों की आर्थिकी मंे सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि सामुदायिक मल निकासी तथा स्वच्छता भी प्रदेश सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल को वर्ष 2025 तक हरित उर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। परिवहन विभाग के वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवर्तित कर इस दिशा में कार्य आरम्भ कर दिया गया है। प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ग्रीन हाईड्रोजन प्लांट स्थापित करने पर भी सरकार विचार कर रही है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना हरित ऊर्जा राज्य का लक्ष्य हासिल करने में मील पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन से भी विचार-विमर्श किया जा रहा है।
जाइका के मुख्य प्रतिनिधि सैतो मीतसूनौरी ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि एजेंसी प्रदेश सरकार की आंकाक्षाओं के अनुरूप परियोजनाओं का कार्य करेगी। बैठक में मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर व संजय अवस्थी, मुख्यमंत्री के प्रधान राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा बिटटू, मुख्यमंत्री के ओएसडी के.एस.बांशटू, आवासीय आयुक्त मीरा मोहंती, मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव विवेक भाटिया, मुख्य परियोजना निदेशक जाइका नागेश गुलेरिया उपस्थित थे।