नई दिल्ली, 30 मई। हिन्दी पत्रकारिता दिवस के शुभ अवसर पर कोरोनाकाल में शहीद हुए दिवंगत पत्रकारों को समर्पित एक ऑनलाइन कार्यक्रम उत्कर्ष की बात प्रस्तुत कोरोना के बाद की पत्रकारिता का आयोजन हुआ, जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, वरिष्ठ पत्रकारों व संपादकों समेत ने शहीदों को प्रति श्रद्धांजलि प्रकट कीं।
कार्यक्रम में बतौर वक्ता वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कहा कि ऐसा कोई समय नहीं रहा जब पत्रकारों ने अपने दायित्व का तत्परता से निर्वहन ना किया हो। अपवाद हर क्षेत्र में होते हैं, सत्य को तोड़ना और मरोड़ना हर क्षेत्र में हुआ है, बस समूची हिन्दी पत्रकारिता पर एक समग्र दृष्टि डालते हैं और आकलन करेंगे तो पता चलता है उसका इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। पत्रकारों से सदैव नैतिकता की अपेक्षा रही है और वे उस पर शत-प्रतिशत खरे भी उतरे हैं। दिवंगत पत्रकारों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राहुल देव ने कहा कि वह अपने काम को धर्म मानकर करने के पश्चात् शहीद हुए हैं, यह बहुत बड़ा दुःखद क्षण रहा है जब एक साझा कारण से इतने पत्रकारों का निधन एक साथ हुआ और कोरोना काल में जिस प्रकार उन पत्रकारों ने अपने प्राणों को जोखिम में डालकर पत्रकारिता की, समाज को उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए, क्योंकि अपने कर्म को धर्म मान कर उसे निभाते हुए जान देना उससे बड़ी वीरगति और कोई नहीं हो सकती। पत्रकारिता को कटघरे में रखना आज के समाज में आम बात हो गई है, जबकि जानकारी के अभाव के चलते एक मुक्त एकमत होकर एक राय कायम कर लेना सही नहीं है। वह कहते हैं- अंग्रेजियत के कारण मात्र हिन्दी ही नहीं, वरन् भारतीय भाषाओं के वजूद पर संकट आ गया है। हमारी भाषाओं में जबरन अंग्रेजी के शब्द ठूंसे जा रहे हैं।
कोरोना आपदा में संक्रमण काल के दौर से गुजर रही है हिंदी पत्रकारिताः दयानंद वत्स
कोरोना काल में पत्रकारिता की मुख्यधारा द्वारा कार्य को पूर्णतः सकारात्मकता से करना चुनौतीपूर्ण भले ही रहा परंतु उसका अनुसरण बहुसंख्य पत्रकारों ने किया और तमाम मानदंड पूरे करने के प्रयास भी हुए जो बेहद प्रशंसनीय है।
इस कार्यक्रम का संचालन और संयोजन माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के द्वितीय वर्ष के छात्र उत्कर्ष उपाध्याय ने किया।