नई दिल्ली, 6 अगस्त। दिल्ली विश्वविद्यालय डूटा और शिक्षकों के दबाव के बाद कॉलेज खोलने के अपने आदेश को वापस ले लिया है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के चलते डूटा व शिक्षकों ने कॉलेज खोले जाने के निर्णय का विरोध किया था।
आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि डूटा और शिक्षक संगठनों के पुरजोर विरोध के चलते दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के उस सकुर्लर को वापस ले लिया है जिसमें 16 अगस्त से स्नातक व परास्नातक में पंजीकृत विज्ञान पाठ्यक्रम वाले सभी कॉलेजों को अपने विज्ञान संकाय की कक्षा और लैब को फिजिकल मोड़ में खोलने को निद्रेश दिया गया था। डॉ. सुमन ने बताया कि कॉलेजों को खोले जाने संबंधी सर्कुलर का तभी से ही विरोध करना शुरू हो गया था जब इसे जारी किया गया था। डॉ. सुमन ने कहा कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर आने वाली है जो कि बहुत ही खतरनाक बताई जा रही है। इसलिए डीयू प्रशासन को कॉलेजों को खोलने संबंधी जो सर्कुलर जारी किया है पहले इस पर विचार करना चाहिए था। डॉ. सुमन ने कहा कि बिना किसी तैयारी व शिक्षकों/कर्मचारियों से सलाह मशविरा लिए बिना जो कॉलेजों को बृहस्पतिवार को आदेश दिया था उसे वापस लिया जाना शिक्षकों की जीत है।
डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि इस साल जनवरी में भी दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसी तरह का सर्कुलर कॉलेजों को खोलने से संबंधित भेजा था, उसके बाद अप्रैल/मई में जो भयावह स्थिति हुई उसमें कोरोना महामारी की चपेट में आने से लगभग 60 शिक्षकों की मौत हुई और ना जाने कितने ही परिवार बेसहारा हो गए। डॉ. सुमन ने बताया कि दिल्ली में आज भी 50 से अधिक कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए हैं, जबकि इससे दो लोगों की मौत हुई है और कुल 512 से ज्यादा ऐक्टिव मामले हैं। यानी अभी भी स्थिति सामान्य नहीं हुई है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण का खतरा बरकरार है।
ध्यान दें कि फरवरी 2020 में भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी उस समय भी विश्वविद्यालय/कॉलेजों को इस तरह का सर्कुलर जारी कर भेजा गया था। कॉलेजों की स्टाफ एसोसिएशन ने उस समय भी इस तरह के सर्कुलर का पुरजोर विरोध किया था और उसे लागू नहीं होने दिया। दो दिन से लगातार शिक्षकों के दबाव के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना ही आदेश वापस ले लिया है।
उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को दिल्ली विश्वविद्यालय ने जो सर्कुलर जारी कर यह निर्देश दिया है कि 6 अगस्त से विश्वविद्यालय/कॉलेजों में शिक्षक और कर्मचारियों की उपस्थिति अनिवार्य है तथा 16 अगस्त से विज्ञान विषय के स्नातक एवं परास्नातक छात्रों की उपस्थिति भी अनिवार्य रहेगी उसका डीटीए ने पूर्णतः विरोध किया और इस संदर्भ में विश्वविद्यालय को लिखा था और कहा था कि ऐसी स्थिति में यदि दिल्ली विश्वविद्यालय और संबद्ध कालेजों में विद्यार्थियों और शिक्षकों की शारीरिक उपस्थिति के आधार पर शिक्षण कार्य शुरू कर दिया जाता है तो कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा। इसलिए कॉलेजों को अभी नहीं खोला जाना चाहिए, जब स्थिति सामान्य हो जाए और छात्र, शिक्षकों व कर्मचारियों से सलाह लेकर ही कॉलेजों को खोला जाए अन्यथा स्थिति अभी भी खराब है।
डॉ. सुमन ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय को मालूम है कि अप्रैल-मई 2021 में जिस तरह से कोरोना बीमारी की लहर आई थी उसमें हमने लगभग 60 से अधिक एडहॉक और स्थायी शिक्षकों को खो दिया है। उस समय बहुत से छात्रों और कर्मचारियों को भी कोरोना से नहीं बचाया जा सका था। इसलिए विश्वविद्यालय द्वारा जारी सर्कुलर पर सभी शिक्षक संगठनों ने एक मत से इसका विरोध किया जिसके परिणाम स्वरूप विश्वविद्यालय को अपना फैसला वापस लेना पड़ा । उन्होंने पत्र में लिखा था कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को बीमारी के संक्रमण की स्थिति का ध्यान रखते हुए फिलहाल इस सर्कुलर को वापस लेना चाहिए विश्वविद्यालय ने शिक्षकों/कर्मचारियों व छात्रों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इसे वापस लिया है। जिससे कोरोना बीमारी संबंधी समस्याओं से विश्वविद्यालय के कर्मचारी और शिक्षक बचे रह सकें।
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