डीयू ने एडहॉक टीचर्स से पीएचडी का स्टेट्स मांगा, गहराने लगे शंकाओं के बादल

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  • प्रिंसिपलों ने मेल से मांगी जानकारी
  • नौकरी में पीएचडी अनिवार्य करने की शंका

नई दिल्ली, 17 जुलाई। दिल्ली विश्वविद्यालय ने एडहॉक टीचर्स से पिछले तीन साल में पीएचडी का स्टेट्स मांगा है। जिसके बाद शिक्षकों के मन में नौकरी में पीएचडी की अनिवार्य किए जाने की आशंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं।
आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) के प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के प्रिंसिपलों ने एडहॉक टीचर्स से मेल के माध्यम से पिछले तीन साल में उनकी पीएचडी का स्टेटस मांगा है। जिसमें पिछले तीन साल के भीतर क्या पीएचडी पर कार्य चल रहा है? या जमा हो गई है, अवार्ड नहीं हुई है अथवा अवार्ड होने संबंधी डिग्री की जानकारी मांगी गई है। जिसके बाद बिना पीएचडी एडहॉक टीचर्स के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे है जिसे लेकर वे काफी चिंतित है।
डीटीए प्रभारी डॉ. हंसराज सुमन ने बताया कि उनके पास एडहॉक टीचर्स के फोन आए जिसमें उन्होंने बताया कि कॉलेज ने उन्हें एक मेल भेजी है जिसमे पूछा गया है कि पिछले तीन साल में आपकी पीएचडी का क्या स्टेटस है। कॉलेज प्रिंसिपल द्वारा एडहॉक टीचर्स से इस तरह की जानकारी मांगने के पीछे क्या मंशा है? उन्होंने कहा कि जब एडहॉक टीचर्स की नियुक्ति होती है तो वह कार्यभार ग्रहण करते समय अपनी योग्यता संबंधी समस्त जानकारी देते हैं। शिक्षकों का कहना है कि इस तरह की जानकारी संदेह पैदा करती है, नियुक्ति के समय वे सभी प्रमाण पत्र व एमफिल/पीएचडी करने की जानकारी देते हैं।
डॉ. सुमन ने बताया कि एडहॉक टीचर्स पीएचडी संबंधी अपनी तीन साल की स्टेटस रिपोर्ट दे रहे हैं, लेकिन उनका संदेह है कि कहीं केंद्र सरकार या यूजीसी भविष्य में नियुक्तियों के समय पीएचडी अनिवार्य तो नहीं करने जा रही है, जैसा कि पिछले दिनों इसे लेकर चर्चा चल रही थीं। डॉ. सुमन ने कहा कि कॉलेजों में पीएचडी कोई अनिवार्य क्राइटेरिया नहीं है। अभी तक कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के समय एमए/एम.कॉम/एमएससी के साथ-साथ नेट या जेआरएफ होना अनिवार्य है।
डॉ. सुमन ने बताया कि पढ़ाना और शोध करना दोनों अलग-अलग विषय है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि पीएचडी करने वाला अच्छा पढ़ाएगा और बिना पीएचडी अच्छा नहीं। उन्होंने बताया कि शिक्षक की नियुक्ति के समय इंटरव्यू में उसकी योग्यता का पता चलता है ना कि अतिरिक्त डिग्री हासिल करने से।
डॉ. सुमन ने कहा कि उनकी चिंता है कि इस वर्ष नई शिक्षा नीति को सरकार लागू करने जा रही है, कहीं उनके एजेंडे में नियुक्ति के समय पीएचडी अनिवार्य करना तो नहीं? या सरकार सर्वे के माध्यम से यह जानने की कोशिश तो नहीं कर रही है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पिछले दस-पंद्रह साल से शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति नहीं हुई, इनमें कितने एडहॉक टीचर्स पीएचडी है और कितने नॉन पीएचडी।

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