शक्ति शब्द का तात्पर्य वह शक्ति जिससे अपने जीवन में कुछ भी अर्जित कर सकने में समर्थ हो जाता है, सनातन धर्म में मानता है देवी मातृस्वरूप में चर अचर सभी में शक्ति रूप मे विद्यमान है।
या देवी शक्ति रूपेण संस्थिता।
उन्हीं शक्ति स्वरूप देवी की अराधना का पर्व है नवरात्रि, नौ मूर्तियां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धरात्रि माता के इन्हीं स्वरूपों को नवदुर्गा कहते है।
माता के इन्हीं स्वरूपों की उपसना इन नौ दिनों में की जाती है और माता अपने भक्तों को उनके मनोकामना को पूर्ण करती है ……..
जीवन में आप अपने मेहनत से कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते, जब तक आपके पास दैविय शक्ति न हो…
किताबों से पढकर आप इन ज्ञान को इन रहस्यों को समझ नहीं पाओगे। कुछ दूर चलने के बाद निराश हो जाओगे… यदि जीवन में कुछ करना है तो योग्य गुरू की पहचान कर उसके सानिध्य में माता की उपासना की
विधि समझ कर उनके सानिध्य में या मार्गदर्शन में इन नौ दिनों की उपासना करें….
निश्चिय ही जीवन में वह सब कुछ प्राप्त होता है जिसकी आपको चाह होगी…
आइये बचे इन रात्रियों में माता का ध्यान, चिंतन, उपासना करें और जीवन को सफल बनाएं…
– स्वामी श्रेयानन्द (सनातन साधक परिवार) मो. 9752626564
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