जानें, गुरू पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, कैसे करें पूजन और क्या ना करें…

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गुरू गोविन्द दोउ खडे का के लागूं पायं
बलिहारी गुरू आपने जिन गोविन्द दियो बताय . . .

आज 24 जुलाई 2021 शनिवार को गुरू पूर्णिमा है। मान्यता है इस दिन महर्षि वेद व्यास ने चारों वेदों का ज्ञान मानव जाति के उत्थान के रूप में दिया था। इसलिए सनातन धर्म में उन्हे प्रथम गुरू की उपाधि प्रदान की थी। गुरू शिष्य के जीवन को तरासता है आज उस पर चोट कर उसके कल के भविष्य को गढता है।
गुरू भी हाडमांस का एक शरीर धारण लिए समाज में रहता है वह भी आम व्यक्ति की तरह जीवन यापन करता है, परन्तु उसके अन्दर ज्ञान की गरिमा होती है जिसे उसे आम व्यक्ति से अलग करता है। स्कूल में शिक्षा देने वाले को शिक्षक कहते हैं गुरू नहीं, आध्यात्म में गुरू की अपनी महत्ता होती है वह शिष्य के जीवन को गढता है, उसे जीवन की उन रहस्यों से अवगत करता है जिससे जीवन आनन्द युक्त हो सके।

तभी तो गुरू को कहा जाता है-
तुम्ही हो माता च पिता तुम्हीं हो, तुम्ही हो बन्धु च सखा तुम्ही हो
तुम्ही हो विद्या द्रविडं तुम्ही हो, तुम्ही हो सर्वमम देव देव ।।

गुरू पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त जाने-
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04.15 से 04.58 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12.00 बजे से 12.55 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2.43 मिनट से 3.40 मिनट तक
अमृत मुहूर्त: सायं 6.45 मिनट से 8.15 मिनट तक

वैसे शास्त्रों में गुरू पूजन का कोई मुहूर्त नहीं होता है जब शिष्य गुरू के पास पंहुंच जाये तब वह समर्पण भाव प्राणिपात होता हुआ गुरू को दण्डवत प्रणाम कर पूजन करे तभी उसे पूर्ण माना जाता है। यदि मुहूर्तकाल को को देखता हुआ शिष्य अहं भाव से गुरू को सम्मुख जाता है तो फिर वह पूजन निष्फल माना जाता है।

कैसे मनाये गुरू पूर्णिमा पूजन विधि:
1. सनातन पराम्परा मे अनुसार आज दिन अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है इस दिन आलस का त्याग
करें प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होना चाहिए। संभव हो तो पवित्र नदियों में स्नान करने
की भी परम्परा है।

2. स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पण करना चाहिए और साथ में अपने गुरू को स्मरण कर उन्हे जल
अर्पण करना चाहिए।

3. यदि सम्भव हो तो इस दिन उपवास रख सकते हैं। पर मन में अपने गुरू के प्रति श्रद्धाभाव व उनका चिंतन
करते रहना चाहिए। यदि आपके कोई गुरू नहीं हो तो गुरू बना लेना चाहिए यह सनातन धर्म में जीवन की
पूर्णता है। यदि गुरू नहीं बना पाये तो भगवान शिव को अपना गुरू मान कर उनकी आराधना करना चाहिए।

4. जब दिन में आपके पास समय हो उस वक्त अपने श्रद्धा से जैसे भी बन पडता हो गुरू पूजन करना चाहिए।
जिसे गुरू पूजन का ज्ञान हो और वह स्वयं गुरू के पास नहीं जा पाये वह अपने घर में ही गुरू पादुका पूजन
करें और आरती के बाद प्रसाद का वितरण करना चाहिए।

5. हमारे सनातन धर्म में मान्यता है कि गुरू पूजन से व्यक्ति का जीवन आनन्द से भर जाता है और गुरू उसके पूर्व जीवन के पापों को क्षय कर देता है जिससे उसका जीवन आनन्दयुक्त हो जाता है।

6. पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की पूजा सायंकाल कर लेने से दोषों से मुक्ति मिल जाती है।

7. जो जीवन में गुरू पूजन करता है उसके जीवन में कोई परेशानी आती है तो वह परेशानी से विचलित नहीं होता
उसका जीवन सुखमय व्यतीय होता है।

8. इस दिन यथा शक्ति दान अवश्य करना चाहिए।

9. गौ माता को भोजन कराये यथा शक्ति हरा चारा या कोई फल खिलाये।

क्या न करें इस दिन:

1. इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए।

2. अपने से बडों का अनादर नहीं करना चाहिए। ज्योतिष में मान्यता है कि कोई व्यक्ति अपने से बडों का आदर
करता है चाहे वह विरोधी ही क्यों न हो तो उस पर गुरू प्रसन्न रहते हैं। वह उस व्यक्ति पर विशेष कृपा करता है
और उसे ज्ञान प्रदान करता है।

3. आलस का त्याग करें पर निन्दा से बचे, वाद विवाद से दूर रहे।

4. भूल कर भी किसी जीव को सताये नहीं।

गुरू पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामना के साथ…
-स्वामी श्रेयानन्द महाराज (सनातन साधक परिवार)
# Swami Shreyanand Maharaj (Sanatan Sadhak Pariwar)

आरती प्रथम पूज्‍यनीय गणेश जी की

 

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