सनातन परम्परा में शक्ति की साधना की विशेष महत्व होता है, शक्ति की आराधना का महापर्व नवरात्रि वर्ष में दो नहीं, अपितु चार बार आता है। हिंदू पंचाग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चार नवरात्रि मनाई जाती है। प्रथम माघ महीने में और तीसरी आषाढ़ माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इसका भी वैसा ही महत्व है जैसा चैत्र और अश्विन में मनाई जाने वाली नवरात्रि का होता है।
माघ माह की प्रथम नवरात्रि इस बार 2 फरवरी से प्रारंभ होकर 10 फरवरी तक रहेगी। इन नौ दिनों में योगी, ऋषि, साधक, गृहस्थ माता की पूजा अनुष्ठान कर अपनी मनोकामना, इच्छापूर्ति और सिद्धि की प्राप्ति हेतु करते हैं….
गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं मां काली, मां तारा देवी, मां भुनेश्वरी, मां त्रिपुर संदुरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की अराधना की जाती है।
अराधना एवं नियम विधिः
इसमें में भी वही विधि और नियम की जाती है जो नवरात्रि के दिनों में की जाती है।
मंत्रः
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः
(सभी माताओं की साधना के लिए अगल-अलग मंत्र हैं, जिसकी विधिवत जानकारी गुरू मुख से लेकर करने से श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है।)
– स्वामी श्रेयानन्द महाराज