मन में चिंता और काया में रोग ये दोनों मन को कमजोर और शरीर को खोखला कर देते है। इस गणेश चतुर्थी के अवसर पर आप मयूरेश स्तोत्र का पाठ करें। मयूरेश स्तोत्र का प्रभाव जीवन को बदलने वाला है। 10 सितंबर यानि शुक्रवार से गणेश चतुर्थी प्रारंभ हो रही है। इस अवसर पर नित्य मयूरेश स्तोत्र का पाठ करने से इसका तीव्र प्रभाव देखने को मिलता है। जीवन के अभाव कष्ट परेशानी, रोगों और कर्ज से मुक्ति मिलती ही है। इस स्तोत्र का पाठ कोई भी कर सकता है।
आइए जानें इसका विधान, गणेश पूजा और सावधानियां…
- पूजा विधिः
प्रातः उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल या किसी साफ-सुधरी जगह पर गणपति की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजा के दौरान पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
जीवन मे सफलता प्राप्त करने के लिए अब गणेश जी के बारहों नामों का स्मरण करें। - इसके बाद गणपति की षोडशोपचार पूजा करें।
इसके निम्न उपचार माने गए है- आवाह्न, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमनीय, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, पुष्पा दुर्वा, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, प्रदक्षिणा, पुष्पांजलि।
सावधानियांः
गणपति की पूजा में तुलसी पत्र का प्रयोग सर्वथा निषिद्ध है।
गणपति को दुर्वादल अत्यंत प्रिय है।
पूजा में दही, कुशाग्र, पुष्प, अक्षत, कुुकुम, पीली सरसों, सुपारी का प्रयोग करें।
जो पुष्प बासी होें, कीडा लगे हो, पेड से गिरे हुए हों या अधखिले हों उनको पूजा में नहीं चढ़ाएं।
पुष्प हमेंशा स्नान के पूर्व ही तोडें।
तुलसी दल को स्नान के बाद श्रद्धापूर्वक नमन करके तोड़े।
गणपति पूजा में घी के दीपक और सुगंधित द्रव्य का प्रयोग करें।
इसके बाद मयूरेश स्तोत्र का 5 बार पाठ करें। इससे उचित मनोकामनाएं पूर्ण होती ही हैं।
मयूरेश स्तोत्र के लिए निन्म नंबर पर व्हाट्शप करें- 09752626564
स्वामी श्रेयानन्द महाराज
(सनातन साधक परिवार)