12वीं कक्षा के छात्रों के अंक मूल्यांकन की योजना पर सुप्रीम मोहर

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नई दिल्ली, 17 जून। उच्चतम न्यायालय ने 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए सीबीएसई और सीआईएससीई के फार्मूले को बृहस्पतिवार को स्वीकार कर लिया। बता दें कि कोविड-19 महामारी की वजह से इस साल 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द कर दी गई है।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की विशेष पीठ ने कहा, ‘‘ संबंधित बोर्ड द्वारा पेश की गई योजनाओं का अवलोकन करने के बाद प्रथमदृष्टया, हमें इसे स्वीकार करने और इस आधार पर बोर्ड को आगे बढ़ने की अनुमति देने में कोई झिझक नहीं है।’’
केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि सीबीएसई 12वीं कक्षा के छात्रों के अंकों के मूल्यांकन के लिए 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के नतीजों के आधार पर क्रमश: 30:30:40 का फॉर्मूला अपनाएगा।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कहा कि शैक्षणिक सत्र वर्ष 2020-21 की बोर्ड परीक्षा रद्द होने के बाद 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के मूल्यांकन के लिए हितधारकों से परामर्श की प्रक्रिया शुरू की गई ताकि विद्यार्थियों और स्कूलों की जमीनी हालात की जानकारी प्राप्त की जा सके।

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सीबीएसई ने बताया कि परामर्श की प्रक्रिया संबद्ध स्कूलों के प्रधानाचार्यों से की गई, 229 सहयोदय विद्यालय संकुलों जिनमें 7,734 स्कूल हैं से प्रतिपुष्टि प्राप्त की गई और 13 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के साथ मंथन किया गया। बोर्ड ने न्यायालय में दाखिल हलफनामे में कहा, ‘‘समिति की अनुशंसाओं, सहोदय विद्यालय संकुलों से प्राप्त प्रतिपुष्टि, प्रधानाचार्यो की राय और विभिन्न पक्षों के प्रतिनिधियों की राय के आधार पर सीबीएसई ने फैसला किया कि 12वीं कक्षा में सैद्धांतिक (थियोरी) विषयों का मूल्यांकन स्कूलों द्वारा किया जाएगा।’’ बोर्ड कहा कि दसवीं कक्षा, 11वीं कक्षा और 12वीं कक्षा के परिणामों के आधार पर 12वीं कक्षा के छात्रों के अंक मूल्यांकन में क्रमश: 30:30:40 का फार्मूला अपनाएगा।
तीस फीसदी अंक दसवीं बोर्ड परीक्षा के आधार पर, अगले 30 फीसदी अंक 11वीं कक्षा के और 40 फीसदी अंक 12वीं कक्षा के यूनिट, मध्य टर्म और प्री-बोर्ड परीक्षाओं के आधार पर दिए जाएंगे। सीबीएसई ने कहा कि 12वीं कक्षा में 20 अंक प्रायोगिक परीक्षा के लिए दिए जाएंगे और नतीजे 31 जुलाई तक घोषित होंगे। बोर्ड ने योजना की और विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि 10वीं कक्षा के आधार पर 30 फीसदी अंक पांच विषयों में से तीन सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले विषयों के औसत के आधार पर दिए जाएंगे। वहीं, 11वीं कक्षा के आधार पर 30 फीसदी अंक वार्षिक परीक्षा के सैद्धांतिक प्रश्नों में प्रदर्शन के आधार पर दिए जाएंगे जबकि 12वीं कक्षा के 40 फीसदी अंक मासिक परीक्षा, अर्धवार्षिक परीक्षा और प्री बोर्ड के आधार पर दिए जाएंगे।
बोर्ड ने कहा, ‘‘ 12वीं कक्षा की प्रायोगिक/ आंतरिक मूल्यांकन के अंक वास्तविक आधार पर दिए जाएंगे जिसे स्कूलों ने सीबीएसई के पोर्टल पर अपलोड किया है।’’ इसके साथ ही कहा गया कि 12वीं की बोर्ड परीक्षा में कुल देने के दौरान पिछले प्रदर्शनों को भी संज्ञान में लिया जाएगा। बोर्ड ने कहा कि वह प्रत्येक स्कूल में पांच सदस्यों की परीक्षाफल समिति गठित कर सकता है जिसमें स्कूल के प्रधानाचार्य को अध्यक्ष, 12वीं कक्षा को पढ़ाने वाले स्कूल के दो वरिष्ठ शिक्षकों और पड़ोस के उच्च माध्यमिक स्कूल के दो शिक्षकों को सदस्य बनाया जा सकता है। यह समिति प्रत्येक परीक्षा के अंक का निर्धारण विश्वसनीय एवं भरोसेमंद मूल्यांकन के आधार पर करेगी।
बोर्ड ने कहा कि 11वीं और 12वीं कक्षा वाले हिस्सों के अंक स्कूल में दिए जाते हैं और ऐसे में प्रश्नपत्र की गुणवत्ता, मूल्यांकन, स्तर और प्रक्रिया के आधार पर सभी स्कूलों से तुलना नहीं की जा सकती। सीबीएसई ने कहा, ‘‘इसलिए, मानकीकरण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक स्कूल को भरोसेमंद मानक के संदर्भ में अंकों में भिन्नता को ध्यान रखते हुए आतंरिक स्तर पर अंकों को नियंत्रित करना होगा।’’ इसके साथ ही बोर्ड ने कहा कि स्कूल द्वारा गत तीन साल में बोर्ड परीक्षा में किए गए प्रदर्शन को वर्ष 2020-21 के मूल्यांकन में अंकों को नियंत्रित करने के संदर्भ के तौर पर लिया जाएगा।
बोर्ड ने कहा कि अगर कोई विद्यार्थी परीक्षा उत्तीर्ण करने की अर्हता प्राप्त नहीं करता है तो उसे ‘ आवश्यक पुनावृत्ति’’ या ‘कम्पार्टमेंट श्रेणी’ में रखा जाएगा। सीबीएसई ने स्पष्ट किया, ‘‘जो विद्यार्थी मूल्यांकन की इस नीति के तहत प्राप्त अंक से संतुष्ट नहीं होंगे उन्हें जब हालात सुधरेंगे और बोर्ड परीक्षा आयोजित की जाएगी तब उसमें शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। नीति के तहत परीक्षा में प्राप्त अंक को अंतिम माना जाएगा।’’
काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस (सीआईएससीई) ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि वह 12वीं कक्षा के नतीजे बेहतर तरीके से परिभाषित और निष्पक्ष अर्हता के आधार पर विद्यार्थियों का मूल्यांकन करने के बाद 20 जुलाई तक जारी कर देगा।
सीआईएससीई ने अदालत को बताया कि उसने मूल्यांकन के लिए जो फार्मूला तैयार किया है उसमें 10वीं बोर्ड परीक्षा में प्राप्त अंक, विषय में प्रोजेक्ट और प्रायोगिक कार्य, 11वीं और 12वीं कक्षा में स्कूल में हुई परीक्षा में प्रदर्शन, गत दो साल में सबसे बेहतर अंक और गत छह साल में सबसे बेहतर प्रदर्शन को संज्ञान में लिया जाएगा। बोर्ड ने कहा कि विद्यार्थियों का मूल्यांकन 10वीं की परीक्षा में प्राप्त अंक, 11वीं और 12वीं कक्षा की लिखित एवं प्रायोगिक परीक्षाओं व प्रदर्शन और गत छह साल में स्कूल में किए प्रदर्शन के आधार पर करेगा।
सीबीएसई की तरह सीआईएससीई ने भी कहा कि जो विद्यार्थी इस मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं होंगे उन्हें हालात सुधरने पर आयोजित परीक्षा में बैठने की अनुमति होगी।
(साभारः भाषा)

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