नहीं रहे राममंदिर आंदोलन के नायक कल्याण सिंह

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file photo source: social media

लखनऊ, 21 अगस्त। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का आज यहां निधन हो गया। 89 वर्षीय पिछले 7 दिन से वेंटीलेटर पर थे। उन्होंने संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में अंतिम सांस ली। राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह को 21 जून को सांस लेने में तकलीफ होने पर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत में कोई सुधार नहीं आने पर उन्हें 4 जुलाई को पीजीआई लाया गया था। राममंदिर आंदोलन के नायकों में से एक कल्याण सिंह (बाबू जी) के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है।

राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक और हिंदुत्ववादी एवं प्रखर वक्ता के रूप में पहचान बनाने वाले कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में हुआ था। कद्दावर नेताओं में शामिल कल्याण सिंह के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार उत्तर प्रदेश में सरकार का गठन किया था। मुख्यमंत्री बनने के बाद कल्याण सिंह ने अयोध्या में जाकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली थी। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा विघ्वंस के समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। कल्याण सिंह ने तब कारसेवकों पर गोली चलवाने से इनकार कर दिया था। ढांचा गिराए जाने के बाद कल्याण ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कल्याण सिंह पहली बार 24 जून 1991 से 6 दिसंबर 1992 तक मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद कल्याण 21 सितंबर 1997 से 12 नवंबर 1999 तक दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

विवादित ढांचा विध्वंस के बाद कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उसी दिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ। ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान हुई। कल्याण सिंह के इस्तीफे के दूसरे दिन ही केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया था। विवादित ढांचा गिराए जाने और उसकी रक्षा नहीं कर पाने पर कल्याण सिंह को एक दिन की सजा भी मिली थी। हालांकि इससे पहले, कल्याण सिंह ने उच्चतम न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा था कि मुख्यमंत्री के रूप में, वह विवादित ढांचे को कोई नुकसान नहीं होने देंगे।


विवादित ढांचा विध्वंस की जांच के लिए गठित लिब्राहन आयोग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को तो क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन कल्याण सिंह और उनकी सरकार की आलोचना की थी। कल्याण सिंह समेत भाजपा के बड़े कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा भी दर्ज किया था। लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया था।

मालूम हो कि 30 अक्टूबर 1990 को जब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश दिए थे। मुलायम सिंह के शासनकाल के उस दौर में कारसेवकों के साथ सख्त रवैया अपना जा रहा था। तब भाजपा ने कल्याण सिंह को आगे किया था। अटल बिहारी वाजपेयी के बाद कल्याण सिंह भाजपा के ऐसे दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने के लिए जनता सबसे ज्यादा बेताब रहती थी। ये कल्याण सिंह के व्यक्तित्व था कि साल भर के अंदर ही उत्तर प्रदेश में भाजपा उभार में आ गई और 1991 में अपने दम पर सरकार बनाई।

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