‘विधवा विलाप’ नहीं करें भारत, विश्वास के साथ उठाए तालिबान के साथ मुद्दे

656
file photo source: social media

2021 का तालिबान 2001 जैसा नहीं, खुले दिमाग से उनसे निपटे भारत

नई दिल्ली, 19 अगस्त। पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को तालिबान के साथ ‘खुले दिमाग’ से निपटना चाहिए और सुझाव दिया कि इसे काबुल में अपना दूतावास खोलना चाहिए और राजदूत को वापस वहां भेजना चाहिए। सिन्हा ने न्यूज एजेंसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अफगानिस्तान के लोग भारत से बहुत प्यार करते हैं, जबकि पाकिस्तान उनके बीच लोकप्रिय नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि तालिबान ‘पाकिस्तान की गोद में बैठ जाएगा’ क्योंकि हर देश अपने हित की सोचता है।
यशवंत सिन्हा ने कहा कि भारत को बड़ा देश होने के नाते तालिबान के साथ मुद्दों को विश्वास के साथ उठाना चाहिए और ‘विधवा विलाप’ नहीं करना चाहिए कि पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर कब्जा हो जाएगा या उसको वहां बढ़त मिलेगी।
सिन्हा ने कहा कि सच्चाई यह है कि तालिबान का अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्सों पर नियंत्रण है और भारत को ‘इंतजार करो एवं देखो’ की नीति अपनानी चाहिए और उसकी सरकार को मान्यता देने या खारिज करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, ‘2021 का तालिबान 2001 के तालिबान की तरह नहीं है। कुछ अलग प्रतीत होता है। वे परिपक्व बयान दे रहे हैं। हमें उस पर ध्यान देना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘उन्हें उनके पिछले व्यवहार को देखते हुए खारिज नहीं करना चाहिए। हमें वर्तमान और भविष्य को देखना है।’
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सिन्हा विदेश मंत्री थे लेकिन वह मोदी सरकार के आलोचक हो गए और उन्होंने भाजपा भी छोड़ दी। वर्तमान में वह तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं।
उन्होंने कहा कि तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद भारत को दूतावास बंद करने और अपने लोगों को वहां से निकालने के बजाए इंतजार करना चाहिए था। दरअसल, बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत ने मंगलवार को अपने राजदूत रूद्रेंद्र टंडन और काबुल दूतावास के कर्मचारियों को वापस बुला लिया था।

तालिबान ने मनाया स्वतंत्रता दिवस, कहा- दुनिया की अहंकारी ताकत अमेरिका को हराया

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here