अहमदाबाद, 24 अक्टूबर। 45 साल पहले जीवूबेन राबरी की 30 वर्ष की उम्र में 35 वर्षीय मालधारी से शादी हुई थी। कच्छ के मोरा गांव में रहने वाले ये जोड़ा अपनी जिंदगी को खुशहाली से जी रहा था। परंतु समय बीतने के साथ-साथ इन्हें संतान नहीं होने की चिंता सताने लगे। संतान को लेकर चिंतित इन दोनों ने मंदिरों से लेकर डॉक्टरों तक दौड़ लगाई परंतु जीवूबेन की सूनी गोद खाली ही रही। इस दंपति ने हिम्मत नहीं हारी और कुछ दिन पहले ही जीवूबेन की सूनी गोद हरी हो गई। जीवूबेन ने अपनी उम्र के 70 पड़ाव में एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म से जीवूबेन और 75 वर्ष के हो चुके मालधारी के घर का आंगन किलकारियों से भर उठा।
दोनों ने एक प्रेसवार्ता में नवजात बच्चे के साथ अपनी खुशियों को सांझा किया। दोनों ने बताया कि वे हमेशा इसी उम्मीद में रहते थे कि एक दिन उनके यहां भी संतान होगी। उन्होंने बताया कि उनका बेटा आईवीएफ तकनीक के माध्यम से हुआ है। मां और बच्चा दोनों पूरी तरह से स्वस्थ हैं। जीवूबेन ने तो यहां तक दावा किया है कि वे विश्व में 70 साल की उम्र में मां बनने वाली पहली महिला हैं। परंतु ऐसा नहीं है, नेट पर सर्च करने पर पता चला कि इससे पहले भी कुछ महिलाएं इस उम्र में भी आईवीएफ तकनीक से मां बनने का गौरव हासिल कर चुकी हैं।
कच्छ के छोटे से गांव मोरा के रहने वाले इस जोड़े की बहुत इच्छा थी कि उनके कोई संतान हो, मगर कुछ दिक्कतों की वजह से उनकी यह इच्छा इतने सालों बाद तक अधूरी थी। ऐसे में डॉ. नरेश भानुशाली के संपर्क में आए। डॉ. नरेश भानुशाली ने दोनों चेकअप किया और इस उम्र में मां बनने की चुनौतियों को लेकर स्पष्ट चेतावनी भी दी। डॉ. भानुशाली ने चेतावनी दी कि उम्र ज्यादा होने और कुछ कठिनाइयों के चलते संतान को जन्म देना मुश्किल होगा। परंतु दोनों ने भगवान पर विश्वास कर आईवीएफ तकनीक से संतान पैदा करने के लिए हामी भर दी। भगवान पर विश्वास और डॉ. भानुशाली के चिकित्सीय प्रयास रंग लाए और जीवूबेन ने 70 साल की उम्र में मां बनने का गौरव प्राप्त किया।